जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस में डीएसपी हुमायूं भट ने शहादत दी है. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है. इससे पहले भी घाटी में सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी आतंकियों के निशाने पर रहे. कर्नल मनप्रीत ढाई दशक में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद होने वाले सेना के चौथे कर्नल हैं.
2 मई 2020- हंदवाड़ा (कश्मीर)
हंदवाड़ा के चंजी मोहल्ला के एक घर में आतंकी घुसे थे. इसकी जानकारी मिली तो सेना, पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन शुरू किया. इस टीम को सेना की 21-आरआर के कर्नल आशुतोष शर्मा लीड कर रहे थे. आतंकियों ने घर में मौजूद लोगों को बंधक बना रखा था.
इसलिए आतंकियों के खात्मे के साथ ही लोगों को सुरक्षित निकालना बड़ी चुनौती थी. दोपहर करीब 3 बजकर 30 मिनट पर कर्नल शर्मा के नेतृत्व वाली टीम ने बंधक बनाए लोगों को बचाने में सफलता पाई. मगर, जवानों के निकलते समय आतंकियों ने निशाना बनाना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद जवानों का उनकी टीम से संपर्क टूट गया. इसके बाद कर्नल के मोबाइल पर कॉल की गई, जिसे एक आतंकी ने रिसीव किया. बड़ी अनहोनी की आशंका पर विशेष सुरक्षाबलों को ऑपरेशन में शामिल किया गया.
जवानों ने बड़ी सावधानी से ऑपरेशन शुरू किया. मगर, बारिश और अंधेरे के कारण इसको कुछ देर के लिए रोका गया. इसी बीच भागने की कोशिश कर रहे दो आतंकी मारे गए. हालांकि, इस ऑपरेशन में सीओ 21-आरआर कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, पुलिस सब इंस्पेक्टर शकील काजी, एक लांस नायक और एक राइफलमैन सहित टीम के पांच सदस्य शहीद हो गए.
21 अगस्त 2000- जाचलदारा आईईडी ब्लास्ट
दो दशक में जम्मू-कश्मीर में एंटी टेरर ऑपरेशन में सेना की 21-आरआर के दो कमांडिंग अफसर (सीओ) शहादत दे चुके हैं. 21 अगस्त 2000 को कर्नल राजिंदर चौहान ने बलिदान दिया. राजिंदर चौहान उस वक्त शहीद हुए, जब वो ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल के साथ इलाके में गश्त पर थे.
जाचलदारा गांव के पास आतंकियों ने आईईडी ब्लास्ट किया. इसकी जद में कर्नल का वाहन आ गया. दोनों अधिकारी मौके पर ही शहीद हो गए. साथ ही पांच जवान भी घायल हुए. कर्नल चौहान 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के तीसरे सीओ थे.
27 जनवरी 2015- त्राल मुठभेड़
पुलवामा में त्राल इलाके के हंदूरा गांव में हिज्बुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों के छुपे होने की सूचना पर सेना की 42-आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स), जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की 185वीं बटालियन ने कासो (कॉर्डन-एंड-सर्च ऑपरेशन) शुरू किया. आतंकी एक घर में छिपे हुए थे. ये घर जलालुद्दीन खान नाम के शख्स का था. घेरा सख्त होता और खुद को घिरा देखकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.
इस गोलीबारी में 42 आरआर के सीओ कर्नल मुनिंदर नाथ राय और दो जवान घायल हो गए. सभी को आर्मी हॉस्पिटल श्रीनगर ले जाया गया. यहां कर्नल और हेड कांस्टेबल ने आखिरी सांस ली. वहीं, इस मुठभेड़ में दो आतंकी भी मारे गए. इनकी पहचान आबिद अहमद खान उर्फ हम्जा और शिराज अहमद डार के रूप में हुई. आतंकियों के कब्जे से 2 एके सीरीज की राइफल, 4 मैग्जीन, ग्रेनेड और कारतूस मिले थे.