जम्मू-कश्मीर के कुलगाम से एक आर्मी जवान के अपहरण की जानकारी सामने आई है. वह ईद के त्योहार पर छुट्टी लेकर घर आया हुआ था. शाम के समय सेना का जवान घर से कुछ सामान खरीदने निकला था, जिसके बाद से ही वह लापता है. जवान की किडनैपिंग के बाद सेना ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है.
आर्मी के जिस जवान का अपहरण किया गया है, उसका नाम जावेद अहमद वानी (25) है. वह कुलगाम के अश्थल का रहने वाला है. इस समय उसकी पोस्टिंग लेह (लद्दाख) में थी. लेकिन ईद के त्योहार पर वह छुट्टी लेकर घर आया हुआ था. ईद के बाद से वह अपने घर पर ही था.
बीती रात करीब 8 बजे वह अपने घर से खाने-पीने का सामान लेने के लिए चावलगाम (Chawalgam) के लिए निकला था, जिसके बाद से वह लापता है. वह अपनी ऑल्टो कार में सवार होकर घर से निकला था. देर रात तक जब वह घर वापस नहीं आया तो पड़ोसियों और गांव के अन्य लोगों ने मिलकर उसकी खोजबीन शुरू की.
कार से बरामद हुईं चप्पलें
तलाशी के दौरान उसकी अनलॉक ऑल्टो कार कुलगाम के पास ही प्रानहाल से बरामद कर ली गई. कार से जवान की चप्पलें और खून के कतरे भी मिले हैं. सेना के जवान की खोजबीन के लिए सेना और पुलिस संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चला रहे हैं.
2017 में भी सामने आया था केस
जम्मू-कश्मीर में सेना के जवान की किडनैपिंग का यह पहला केस नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें आतंकियों ने सेना के अधिकारियों का अपहरण किया है. ठीक ऐसा ही मामला मई 2017 में भी सामने आया था. जिसमें छुट्टियों पर घर आये एक युवा सैन्य अधिकारी का शोपियां जिले में आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था और गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी. युवा अधिकारी यहां एक शादी समारोह में शामिल होने आया था.
माम की लड़की की शादी में आए थे
कुलगाम जिले के सुरसोना गांव के रहने वाले 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट उमर फैयाज करीब 74 किलोमीटर दूर बाटपुरा में अपने मामा की लड़की की शादी में शामिल होने गए थे. देर रात आतंकवादियों ने उनका अपहरण किया. परिवार के सदस्यों ने निहत्थे सैन्य अधिकारी के अपहरण के बारे में पुलिस या सेना को सूचित नहीं किया, क्योंकि आतंकवादियों ने उन्हें ऐसा ना करने की धमकी दी थी.
तीन किलोमीटर दूर मिला था शव
इसके बाद गोलियों से छलनी उनका शव बुधवार की सुबह हरमैन इलाके में उनके घर से करीब तीन किलोमीटर दूर मिला था. शव के परीक्षण में उनके शरीर पर निशान मिले थे, जिससे संकेत मिलता है कि उन्होंने संदिग्ध आतंकवादियों का विरोध किया था, जिन्होंने उनका अपहरण किया. उन्हें बेहद करीब से गोली मारी गई थी. गोलियां उनके सिर, पेट और सीने में लगी थीं.