कश्मीर घाटी में प्रशासन ने उन अल्ट्रासाउंड लैब्स पर नकेल कसने का फैसला किया है, जिनमें गर्भ में बच्चों का लिंग परीक्षण किया जा रहा है. घाटी में जल्द ही अल्ट्रासाउंड लैब की मशीनों में एक ऐसा सॉफ्टवेयर लगाना होगा, जिससे यह पता चल सकेगा कि मशीन को किस टेस्ट के लिए इस्तेमाल किया गया.
देश के कुछ अन्य हिस्सों की ही तरह कश्मीर में भी भ्रूण हत्या के मामलों की कई शिकायतें सामने आ रही हैं. कश्मीर में 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 859 है.
जन्म से पहले ही बच्चों के लिंग पता लगाने के लिए जिस तरह से सोनोग्राफी का इस्तेमाल हो रहा है, उसने समाज के साथ-साथ कश्मीर में प्रशासन की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं. कश्मीर में लिंगानुपात चिंता का विषय बना हुआ है. अब समाज से ही समाज की इस घटिया सोच को खत्म करने के लिए कई आवाजें उठ रही हैं.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पिछले एक साल के दौरान कश्मीर घाटी में ऐसी 12 लैब्स को सील किया है, जहां गैर कानूनी तौर पर जन्म से पहले बच्चे का लिंग पता लगाने का टेस्ट किया जा रहा था. बावजूद इसके पुलिस का मानना है कि इन मामलों में उनके पास इसलिए कम शिकायतें आती हैं, क्योंकि यह बच्चे के माता-पिता की सहमति से होता है.
जम्मू-कश्मीर में पुलिस अब उन सभी सोनोग्राफी लैब्स में वह सॉफ्टवेयर लगाने को अनिवार्य करने जा रही है, जिसमें हर लैब में होने वाली सभी जांचों का लेखा-जोखा मौजूद रहेगा.