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बिखरने की ओर पीडीपी, क्या कश्मीर में बनेगी बीजेपी सरकार?

जम्मू-कश्मीर मे महबूबा मुफ्ती सरकार गिर जाने के महज 15 दिनों के भीतर ही सूबे के सबसे बड़े दल पिपुल्स डेमेक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) संभावित टूट की तरफ बढ़ रही है. पीडीपी के तीन विधायकों के खुलकर महबूबा के खिलाफ जाने के बाद लगभग 15 विधायक, पार्टी के क्रिया कलापों से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं.

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बीजेपी नेता राम माधव, फाइल फोटो
बीजेपी नेता राम माधव, फाइल फोटो

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जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार गिर जाने के महज 15 दिनों के भीतर ही सूबे के सबसे बड़े दल पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) संभावित टूट की तरफ बढ़ रही है. पीडीपी के तीन विधायकों के खुलकर महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जाने के बाद लगभग 15 विधायक, पार्टी के क्रियाकलापों से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं

महबूबा के खिलाफ पीडीपी में बन रहे इस मोर्चे में उत्तरी कश्मीर के पाटन से विधायक इमरान रजा अंसारी मुख्य सूत्रधार बताए जा रहे हैं. बता दें इमरान रजा अंसारी ने महबूबा पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए हमला बोला था. सूत्रों की मानें तो अंसारी को पीडीपी के कई असंतुष्ट विधायकों का समर्थन भी मिल रहा है.

महबूबा के तख्तापलट की तैयारी !

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पूर्व पीडीपी सांसद और कांग्रेस नेता तारीक अहमद कर्रा का कहना है कि पीडीपी के असंतुष्ट नेता, विधायक दल की बैठक बुलाकर महबूबा को विधायक दल के नेता के तौर पर अपदस्थ करने की तैयारी में हैं. कर्रा का कहना है कि भाजपा इन विधायकों की बगावत को हवा देने मे लगी है.

जम्मू-कश्मीर के अखबार राइजिंग कश्मीर से बातचीत के दौरान जादीबल से पीडीपी विधायक आबिद अंसारी का कहना है पीडीपी के लगभग 15 विधायकों को पिछले तीन सालो में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने नजरअंदाज किया है. वहीं महबूबा इन चुने हुए विधायको के स्थान पर हारे हुए नेताओं को तवज्जो दे रही है.

इसे भी पढ़ें: J-K में PDP से हाथ मिलाने को लेकर पसोपेश में कांग्रेस, तौल रही है नफा-नुकसान

महबूबा का विधासभा भंग करने की सिफारिश नहीं करना सबसे बड़ी गलती

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने अभी विधानसभा भंग करके इसे निलंबित किया है. बदलते राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए नेशनल कांफ्रेस की मांग है कि खरीद-फरोख्त से बचने के लिए विधानसभा भंग की जाए.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अबदुल्ला ने ट्वीट किया है कि '' क्या महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल वोहरा से विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं करके ऐतिहासिक भूल की है ? जबकि संविधान के अनुसार राज्यपाल उनकी सलाह को मानने को लेकर बाध्य हैं और वहीं वे अपनी पार्टी को इस समय जारी खरीद-फरोख्त से बचा सकती थीं.''

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घाटी में नए राजनीतिक घटनाक्रम से तेजी से बदला समीकरण

हाल मे जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी राम माधव की पिपुल्स कांफ्रेस के नेता सज्जाद लोन और निर्दलीय विधायक  इंजिनियर रशीद से हुई मुलाकात को लेकर ये संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा ने घाटी मे सरकार बनाने को लेकर अभी अपने विकल्प खोले हुए हैं. पीडीपी विधायक इमरान रजा अंसारी को सज्जाद लोन व पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू का करीबी माना जाता है. गौरतलब है कि हसीब द्राबू ने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार बनाने मे राम माधव के साथ अहम भूमिका निभाई थी.

लिहाजा अगर पीडीपी का एक धड़ा पार्टी से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाता है तो द्राबू-लोन-अंसारी की तिकड़ी इस खेल की अहम खिलाड़ी साबित होगी. हसीब द्राबू को हाल ही मे कश्मीर को सामाजिक समस्या करार को लेकर खड़े हुए विवाद की वजह से वित्त मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था.

क्या कहती है सरकार बनाने का गणित?

87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधावनसभा में पीडीपी के 28,  भाजपा के 25, कांग्रेस के 12, नेशनल कांफ्रेस के 15, पिपुल्स कांफ्रेस के 2 और शेष निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे मे यदि पीडीपी के 15 विधायक टूट जाते हैं तो भाजपा, पिपुल्स कांफ्रेस के दो विधायकों और कुछ निर्दलियों के साथ बहुमत के 44 का आंकड़ा प्राप्त कर सकती है.

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