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J-K में टूटी 5 दशक पुरानी परंपरा, मलिक दूसरे राजनेता राज्यपाल बने

नरेंद्र मोदी के शासनकाल में एक और परंपरा टूट गई है. जम्मू-कश्मीर में 5 दशक से चले आ रहे किसी नौकरशाह को राज्यपाल बनाए जाने का चलन टूट गया और बीजेपी के दिग्गज नेता सत्यपाल मलिक राज्य के नए राज्यपाल बन गए.

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जम्मू कश्मीर के नए राज्यपाल बने सत्यपाल मलिक  (ANI)
जम्मू कश्मीर के नए राज्यपाल बने सत्यपाल मलिक (ANI)

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लंबे समय से अशांत चल रहे जम्मू-कश्मीर को सत्यपाल मलिक के रूप में अब नया राज्यपाल मिल गया है. 5 दशक से भी ज्यादा समय के बाद पहली बार नौकरशाह की जगह किसी राजनेता को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया है

एनएन वोहरा के 10 साल से थोड़ा ज्यादा समय तक राज्यपाल पद पर रहने के बाद अब सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के 13वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली. इसके साथ ही पद पर सेवानिवृत्त नौकरशाहों को नियुक्त करने की पांच दशक से चली आ रही परंपरा भी खत्म हो गई.

राज भवन में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने मलिक को पद की शपथ दिलाई. मलिक के शपथ लेने से पहले राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से जारी नियुक्ति संबंधी पत्र पढ़ा.

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राज्यपाल बनने वाले दूसरे राजनेता

मलिक (72) इस पद पर आसीन होने वाले दूसरे राजनीतिज्ञ हैं. इससे पहले कर्ण सिंह ने 1965 से 1967 तक यह पद संभाला था. मलिक ने नरेंद्र नाथ वोहरा का स्थान लिया है.

वोहरा 10 वर्ष तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे, इस अवधि के बाद उन्हें दो माह का सेवा विस्तार दिया गया था. वोहरा ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इसके बाद वह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले.

समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत करीब 400 लोग मौजूद थे. इसके अलावा बीजेपी, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस तथा अन्य राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता और विधायक भी कार्यक्रम में शामिल हुए.

नागरिक प्रशासन, पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी समारोह में मौजूद थे.

2004 में बीजेपी से जुड़े थे मलिक

वोहरा समारोह में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि वह श्रीनगर से दिल्ली आ रहे थे. वह 1959 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. वह वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान पंजाब के गृह सचिव थे.

मलिक एक दिग्गज राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय में छात्र नेता के तौर पर शुरुआत की थी. वह वर्ष 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और राज्यसभा सांसद बने थे, लेकिन बोफोर्स घोटाले के चलते तीन वर्ष बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. वह वर्ष 2004 में बीजेपी में शामिल हुए थे.

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चार अक्टूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल पद की शपथ लेने से पहले वह बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रभारी थे.

टंडन बने बिहार के राज्यपाल

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन ने भी गुरुवार को बिहार के 39वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में यहां राजभवन में पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत अन्य लोग भी मौजूद थे.

टंडन ने सत्यपाल मलिक का स्थान लिया जिन्होंने आज ही जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के पद की शपथ ली है. लखनऊ में 12 अप्रैल 1935 को जन्मे टंडन ने 1970 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.

वह दो कार्यकाल के लिए उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी रहे. वह उत्तर प्रदेश में कई बार मंत्री भी रहे. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी माने जाने वाले टंडन ने 2009 में लखनऊ लोकसभा सीट जीती. वाजपेयी ने 2005 में सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी.

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