मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा को जम्मू कश्मीर के परिसीमन आयोग के लिए नामित किया है. जम्मू कश्मीर को अलग केंद्र शासित राज्य बनाए जान के बाद वहां अब परिसीमन का काम शुरू होगा. इसके लिए परिसीमन आयोग का गठन किया जा रहा है. सुशील चंद्रा चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करेंगे.
जम्मू कश्मीर के अलग राज्य बनने के बाद अब वहां परिसीमन का काम शुरू होगा. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा को जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग के लिए अपना प्रतिनिधि नामित किया है. चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने पीटीआई को यह जानकारी दी.
संसद से जम्मू कश्मीर पुनर्गठन एक्ट पास होने के पहले जम्मू-कश्मीर में 87 सीटें थी. इनमें लद्दाख की 4 सीटें शामिल हैं. बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग केंद्रशासित राज्य बन गए हैं. लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं होगी. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 107 सीटें बढ़ाकर 114 की जाएगी, जबकि परिसीमन निर्वाचन आयोग की निगरानी में होगी. साथ ही जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 सीटें होंगी और लद्दाख में 1 लोकसभा की सीट रहेगी.
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लद्दाख की 4 सीटें हट जाएंगीदरअसल अभी तक जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें 87 सीटें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की हैं. जबकि, बाकी 24 सीटें PoK के नाम पर हैं. अब जब जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आ गया है. इस तरह से लद्दाख क्षेत्र के तहत आने वाली चार विधानसभा सीटें हट जाएंगी, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर में कुल 107 विधानसभा बची हैं. परिसीमन के बाद ये बढ़कर 114 हो जाएंगी. इनमें 24 सीटें PoK की शामिल हैं.
90 विधानसभा सीटों पर होगा चुनाव
जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब विधानसभा और संसदीय सीटों का परिसीमन भी होगा. ऐसे में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में 7 विधानसभा सीटों का इजाफा होगा. इस तरह से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 114 सीटें होंगी. इनमें से पाक अधिकृत कश्मीर के हिस्से की 24 सीटें रिक्त रहेंगी और 90 सीटों पर चुनाव होंगे. हालांकि लद्दाख के हटने के बाद अभी जम्मू रीजन में 37 और कश्मीर क्षेत्र के तहत 46 सीटें बची हैं. ऐसे में परिसीमन के बाद बढ़ने वाली सात सीटें इसी इलाके की होंगी.
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