जम्मू-कश्मीर को जब से अलग केंद्र प्रशासित राज्य घोषित किया गया है तब से राज्य में कई पाबंदियां लगी हुई हैं. घाटी में रह रहे व्यवसायिक समुदाय के लोगों की मानें तो केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों की वजह से उनका भारी नुकसान हुआ है. हालांकि आने वाले समय में तेजी से विकास की उम्मीद भी है.
घाटी में वास्तविक हालात का जायजा लेने पहुंचे 25 विदेशी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान वहां रह रहे व्यापारियों और अन्य लोगों ने यह बात कही. कुछ सदस्यों ने राजनयिकों के सामने विकास की रफ्तार में तेजी लाने की बात भी कही है.
वहीं सेब व्यवसायियों ने बातचीत के दौरान बताया कि पड़ोसी देश उनके व्यापार को खत्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं. उन्होंने राजनयिकों से कहा कि जब तक घाटी में शांति बहाल नहीं की जाएगी तब तक विकास की रफ्तार धीमी ही रहेगी.
राजनयिकों ने व्यवसायियों के अलावा सिविल सोसाइटी के लोगों से भी मुलाकात की. उन्होंने राज्य में जल्द से जल्द इंटरनेट सुविधा बहाल कराने की मांग की है जिससे घाटी में हालात पहले जैसे सामान्य हो सकेंगे.
25 विदेशी राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल घाटी पहुंचा
बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए छह महीने का समय बीत गया है. केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के उद्देश्य से 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल बुधवार को घाटी पहुंचा है. राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केंद्र सरकार ने किया है.
अधिकारियों ने बताया कि राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल सुबह करीब 11 बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा, लेकिन खराब मौसम के कारण वे तय कार्यक्रम के अनुरूप उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के दौरे पर नही जा सके.
उन्होंने बताया कि ये राजनयिक यहां एक होटल में ठहरे हैं. वे प्रसिद्ध डल झील में शिकारा के लिए भी गए. इससे पहले सरकार ने 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू कश्मीर के दौरे पर भेजा था, जिसका लक्ष्य उन्हें यह बताना था कि कश्मीर घाटी में सामान्य हालात तेजी से पटरी पर लौट रहा है. कई विपक्षी दलों ने इसे 'गाइडेड टूर' बताया था.