जम्मू कश्मीर में आर्मी की भूमिका केवल आतंकियों से मुकाबले तक सीमित नहीं है, आर्मी अब कश्मीर घाटी के युवाओं को देश की टॉप कंपनियों में नौकरी दिलाने में भी मदद कर रही है.
केंद्र सरकार की 'उड़ान स्कीम' के तहत देश की बड़ी कंपनियों में से एक टीसीएस, सेना के साथ मिलकर घाटी के विद्रोह प्रभावित इलाकों के शिक्षित युवाओं को नौकरी दिलाने के लिए योजना चला रही है.
2013 में कश्मीर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने वाले इम्तियाज अहमद भट्ट भी इन्हीं युवाओं में से एक हैं.
पिछले साल टीसीएस में जॉब के लिए अप्लाई करने वाले इम्तियाज का श्रीनगर के बादामी कैंटोनमेंट में टेलीफोन इंटरव्यू हुआ था. चयन के बाद भट्ट ने कंपनी के कोलकाता ऑफिस में ट्रेनिंग शुरू कर दी.
भट्ट ने कहा, 'यह शानदार अनुभव रहा, मैंने खुद को प्रबंधन के परिवेश में खुद को प्रस्तुत करना सीखा.' उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के बाद टीसीएस ने कोलकाता में परमानेंट पोजिशन ऑफर किया है.
केंद्र सरकार की ओर से तीन साल पहले लॉन्च हुई 'उड़ान स्कीम' के तहत कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर के दौरे कर युवाओं को नौकरी के ऑफर दिए हैं. हालांकि यह रिक्रूटमेंट प्रक्रिया कुछ यूनिवर्सिटी और चुनिंदा जिलों और शहरों तक सीमित है.
सेना की लोकल यूनिट को इस प्रक्रिया में शामिल करने से छोटे कस्बों के युवाओं को भी मौका मिला है. प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों ने कहा कि लोकल यूनिट की मदद से उम्मीदवारों के बैकग्राउंड का पता लगाने में मदद मिलती है.
14 सप्ताह के ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए चुने गए 100 युवाओं में से इम्तियाज भट्ट भी एक हैं. भट्ट के अलावा कई युवाओं को कोलकाता में परमानेंट पोजिशन मिल गई है. टीसीएस ने कश्मीर क्षेत्र से 335 कैंडिडेट का साक्षात्कार लिया था, जबकि 251 जम्मू से और 246 लद्दाख से थे. सेलेक्शन प्रक्रिया नवंबर 2014 में शुरू हुई थी.
टीसीएस की बीपीओ सर्विस के ग्लोबल एचआर हेड रंजन बंद्योपाध्याय ने कहा, '2012 में प्रक्रिया शुरू होने के बाद पहली चुनौती युवाओं को इसके लिए तैयार करना था. इसके बाद कंपनी ने यूनिवर्सिटी और सरकार से संपर्क किया.'
पिछले साल कंपनी ने आर्मी की मदद लेने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि कंपनी ने अब 19 जिलों तक पहुंच बनाई है. इनमें कुछ बेहद ही संवेदनशील अनंतनाग, बारामुला और पुलवामा जैसे इलाके भी हैं.
सेना के अधिकारी ने कहा, 'यह पहली बार है जब किसी संस्थान ने रिक्रूटमेंट के लिए आर्मी से मदद मांगी है.' उन्होंने कहा कि हमने ग्रामीण इलाकों में भी इस प्रक्रिया के बारे में मैसेज फैलाया है ताकि युवा आगे आएं और इस मौके का फायदा उठा सकें.