जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के हालात में कोई खास सुधार नहीं है. श्रीनगर शहर में कुछ इलाकों में पानी घटा है लेकिन बहुत से इलाकों में अभी भी पानी भरा हुआ है. सेना तथा राहत टीमों द्वारा लोगों को सुरक्षित जगहों पर लाने ले जाने का काम तेजी से चल रहा है. राहत के काम में लगे सैनिक तथा अन्य खाने के पैकेट और पीने का पानी प्रभावित इलाकों में बांट रहे हैं. अंदाजा है कि एक लाख तीस हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ में कम से कम 200 लोगों की मौत हो चुकी है.
लाखो लोगों को इस समय खाने-पीने के सामान, पानी और दवाइयों की सख्त जरूरत है. इस शताब्दी की इस सबसे बड़ी बाढ़ में पूरा श्रीनगर डूब सा गया है और चारों ओर पानी-पानी है. सेना के हजारों जवान और एनडीआरएफ की टीमें वहां लगी हुई हैं. मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज वहां सभी पार्टियों की एक बैठक बुलाई है ताकि इस त्रासदी का मुकाबला किया जा सके. वह चाहते हैं कि सभ पार्टियों के लोग सलाह दें कि कैसे राहत कार्यों को बढ़ावा दिया जाए और फंसे लोगों को निकाला जाए. उन्होंने कहा कि 200 लोगों के मरने की पुष्टि की जा चुकी है.
जम्मू-श्रीनगर हाई वे अभी भी बंद है. मिट्टी और पहाड़ों के चट्टानों के गिरने से वहां रास्ते अवरूद्ध हो गए हैं. उनकी मरम्मत का काम चल रहा है. इस रोड को चालू करना बहुत जरूरी है ताकि वहां के प्रभावित क्षेत्रों में सप्लाई भेजी जा सके. पानी घटने के कारण बाढ़ में फंसे बहुत से लोग अपने घरों को छोड़ना नहीं चाह रहे हैं. उन तक राहत सामग्री पहुंचाना कठिन कार्य है. सरकार ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को छह महीने तक मुफ्त राशन दिया जाएगा.