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कश्मीर पर जो PM मोदी बोले, उसी के लिए मुझे देशद्रोही कहा गया था: सलमान खुर्शीद

पीएमओ इंडिया ने जैसे ही रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में कश्मीर पर दिया बयान ट्वीट किया, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उस पर चुटकी लेते हुए लिखा 'मोदी भक्तों, एक और तमाचा? अब तो समझ जाओ.' इसके बाद आजतक ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से कश्मीर और उनके ट्वीट पर खास बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.

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सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद

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पीएमओ इंडिया ने जैसे ही रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में कश्मीर पर दिया बयान ट्वीट किया, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उस पर चुटकी लेते हुए लिखा 'मोदी भक्तों, एक और तमाचा? अब तो समझ जाओ.' इसके बाद आजतक ने कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद से कश्मीर और उनके ट्वीट पर खास बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.

पीएम ने कश्मीर पर जो कहा उस पर आपने उनके समर्थकों पर हमला क्यों बोल दिया?
सलमान खुर्शीद- हां मैंने बोला लेकिन सच ये है जो हम अरसे से कहते आ रहे हैं, वह अब जाकर प्रधानमंत्री समझ पाए हैं. जो हम कहते थे प्रधानमंत्री अब जाकर वह बोले हैं. इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि जम्मू कश्मीर में जो हिंसा हुई उसमें हम इस बात के आरोपी रहे कि हम ने मारे गए नौजवानों के साथ सुरक्षाकर्मियों की शहादत को साथ जोड़कर बयानबाजी की. लेकिन उस वक्त हमको निशाने पर लिया गया. इसलिए आज जब प्रधानमंत्री ने कह दिया कि सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों की जान जाने का भी मुझे दुख है, तो बड़ा सुकून मिला. मैंने भी पहले यही कहा था जिसके लिए मुझे देश विरोधी करार दे दिया गया. इतना ही नहीं ट्विटर पर मुझे देशद्रोही ही नहीं पाकिस्तान का सिंपेथेसाइजर कहा गया. तभी मैंने लिखा की तमाचा तो मोदी समर्थकों पर है, जो मैं पहले कहता था वह आज मोदी जी ने कह दिया. मोदी जी को धन्यवाद. उम्मीद है इसी लाइन पर आगे बढ़ेंगे. लेकिन अब वह मोदी भक्त कहां है जो मुझे उस वक्त बेइज्जत करते थे जब मैं वही बोलता था जो आज मोदी जी ने बोला.

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आज भारत सरकार अपनी नीति के लिहाज से आगे बढ़ रही है, क्या आपको लगता है इस मौके पर हुर्रियत से बातचीत होनी चाहिए?
सलमान खुर्शीद- प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हुर्रियत से बातचीत के सवाल पर साफ साफ कुछ नहीं बोलते, पर प्रधानमंत्री से मिल कर मुख्यमंत्री मेहबूबा, अलगाववादियों के वरिष्ठ नेता गिलानी को अपना पिता समान बताती हैं, शांति में साथ मांगती है, पर सवाल ये उठता है की भारत सरकार की ओर से अभी तक ये एलान नहीं हुआ की सब से बातचीत में क्या हुर्रियत भी है? वैसे कोई नया फॉर्मूला कश्मीर मुद्दे को हल करने का मोदी जी के पास है तो वो सार्वजानिक करें, देश हित में कांग्रेस साथ देगी, लेकिन अफसोस इस बात का है की शुरुआत में जब हम कहते हैं तो हमे एंटी-नेशनल कहा जाता है, और बाद में हमारी लाइन को अपना लिया जाता है. ये हमारी शर्मिंदगी है या प्रधानमंत्री जी आपके सलाहकारों की कमजोर जानकारी? हां हम खुश हैं की आखिरकार आपने वही कहना और करना शुरू कर दिया जो कभी हम कहा करते थे. इसलिए मैं कहता हूं, की मोदीजी तो समझ गए, पर मोदी के भक्त और सिपाही नहीं समझ पा रहे.

कश्मीर मामले पर क्या हुर्रियत से बातचीत होनी चाहिए या नहीं?
सलमान खुर्शीद- हम तो यही कहेंगे की पचास दिनों के कर्फ्यू के बाद कश्मीर में शांति होनी चाहिए वाजपेयी जी ने कश्मीरियत इंसानियत जम्हूरियत के नारे के साथ जो रणनीति अपनाई थी मोदी जी उस नारे को तो साथ रख रहे हैं लेकिन क्या वो रणनीति भी अपनाएंगे हमको नहीं मालूम. पर यह जरूर है की आज भी वही रणनीति कामयाब होगी जो मनमोहन सिंह जी और अटल जी ने इस्तेमाल की थी. सवाल यह है की आज की सरकार सर्वदलीय बैठक में भी यह नहीं बताती कि उसके पास कश्मीर मुद्दे के हल का क्या फार्मूला है. अभी तक तो कुछ साफ नजर नहीं आता. इसी वजह से 50 दिन पार कर गए हैं कश्मीर में कर्फ्यू है और इतने दिनों बाद प्रधानमंत्री बयान दे रहे हैं. अब जाकर यह सही बयान है लेकिन इतने दिनों बाद क्यों. आखिर पहले कौन सी रणनीति अपना रहे थे जो कश्मीर में आग बढ़ती जा रही थी. खैर देर आए दुरुस्त आए.

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बलूचिस्तान गिलगित और पीओके में रहनेवाले बेघर लोग जम्मू, कठुआ और आसपास रहने को मजबूर हैं, उनके लिए भारत सरकार ने 2000 करोड़ के फंड का ऐलान किया इसके क्या मायने हैं?
सलमान खुर्शीद- हिंदू शरणार्थियों के लिए भारत के दरवाजे हमेशा खुले रहे हैं. यह पहले से सरकारों का वादा रहा है. अब यह सरकार बताए कि जिन लोगों के बारे में बात कर रही है उनका रिकॉर्ड क्या है. जांच पड़ताल कहां तक पहुंची है, क्या हड़ताल सही है? हम यह कहना चाहते हैं कि हिंदू शरणार्थियों के लिए यूपीए सरकार ने ही दरवाजे खोल कर रखे थे, इसलिए नया क्या किया जा रहा है यह खुलकर सरकार सब को बताएं. हम भी मामले को सही मानकर सरकार का साथ देंगे. क्योंकि कश्मीरी पंडित जो देश के कश्मीर में रहकर देश के विभिन्न इलाकों में रह रहे हैं उनकी परेशानी उनका पुनर्वास हमारी प्राथमिकता है. पर सवाल यह है कि मोदी सरकार उनके बारे में कोई गंभीर कदम उठाने के बजाय पीओके गिलगित बलूचिस्तान का नाम लेकर सियासत करना चाह रही है.

भारत सरकार की कश्मीर नीति का समर्थन करते हैं या कांग्रेस पार्टी मोदी की कश्मीर नीति के साथ है?
सलमान खुर्शीद- हम तो मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के फार्मूले पर आगे बढ़ना चाहते हैं हम उसी के साथ हैं लेकिन अगर मोदी सरकार के पास अगर कोई नया फार्मूला है तो सामने लेकर आएं. कांग्रेस पार्टी देश हित में साथ खड़ी होगी लेकिन अफसोस की बात यह है कि कोई भी फॉर्मूला आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है इसलिए हम सिर्फ कहते हैं की जल्दबाजी में और अहंकार में कोई कदम उठाने से पहले कश्मीर के मामले में संजीदा होकर कदम उठाए जाएं. कांग्रेस पार्टी से सलाह ली जाएगी तो देश हित में वह हमेशा साथ देगी लेकिन जो सवाल सामने हैं की रणनीति सामने लाने में इतनी देरी क्यों और दूसरा यह कि आज जो आप कह रहे हैं उसी रणनीति पर आगे बढ़े. कांग्रेस पार्टी राष्ट्र हित में मोदी सरकार के हर कदम के साथ है.

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