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माकपा का सवाल, J-K में लोकसभा के लिए माहौल ठीक तो विधानसभा चुनाव के लिए क्यों नहीं?

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी चुनाव आयोग से लोकसभा चुनावों के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आग्रह किया है.

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सीपीआई(एम)
सीपीआई(एम)

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लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद विपक्षी पार्टियों के विरोध के सुर तेज होते जा रहे हैं. कोई तारीख को लेकर सवाल उठा रहा है तो कोई मिलीभगत की बात कर रहा है. मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने भी चुनाव आयोग से लोकसभा चुनावों के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आग्रह किया है. पार्टी ने एक बयान में कहा है कि यह हैरान करने वाली बात है कि जम्मू एवं कश्मीर में लोकसभा चुनाव कराने के लिए सुरक्षा स्थिति सही है लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए सही नहीं है.

माकपा ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य के लोगों को भरोसा दिलाया था कि राज्य विधानसभा के भी चुनाव एकसाथ होंगे. साथ ही पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग को मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए और एक साथ विधानसभा चुनाव की घोषणा करनी चाहिए.

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जम्मू एवं कश्मीर में मौजूदा समय में राष्ट्रपति शासन लागू है क्योंकि साल 2018 में यहां की पीडीपी- भाजपा की गठबंधन से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद विधानसभा को भंग कर दिया गया था.

बता दें कि मई में शासन की 6 महीने की अवधि समाप्त हो जाएगी. माना जा रहा था कि यहां पर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने की उम्मीद थी. पर चुनाव आयोग ने सुरक्षा के लिहाज से विधानसभा चुनाव की तारीखों को टाल दिया है. जिसके बाद सभी गैर-भाजपा पार्टियों ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की मांग कर रहे हैं.

इनसे पहले नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी राजनाथ सिंह के उपर वादे से मुकरने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि यह 1996 के बाद पहला मौका है जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं होंगे. चुनाव आयोग ने तो साफ कर दिया है कि लोकसभा के चुनाव 11 अप्रेल से लेकर 19 मई तक होंगे. जिसमें सात चरणों में चुनाव कराए जाएंगे.

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