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कश्मीर में पैलेट गन के बजाय पंप एक्शन गन में डिफ्लेक्टर लगाएगी CRPF

कश्मीर में जहां एक तरफ पत्थरबाज सुरक्षा बलों के ऑपरेशन को रोकने के लिए उन्हें निशाना बना रहे हैं. वहीं इन पत्थरबाजों से निपटने और पैलेट गन से होने वाले नुकसान से बचने के लिए दूसरे विकल्पों पर काम कर रही है. सीआरपीएफ के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वे पैलेट गन से पत्थरबाजों को भगाने वाली गन यानी पंप एक्शन गन का मॉडिफाइड वर्जन लेकर आ रहे हैं.

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सीआरपीएफ
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कश्मीर में जहां एक तरफ पत्थरबाज सुरक्षा बलों के ऑपरेशन को रोकने के लिए उन्हें निशाना बना रहे हैं. वहीं इन पत्थरबाजों से निपटने और पैलेट गन से होने वाले नुकसान से बचने के लिए दूसरे विकल्पों पर काम कर रही है. सीआरपीएफ के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वे पैलेट गन से पत्थरबाजों को भगाने वाली गन यानी पंप एक्शन गन का मॉडिफाइड वर्जन लेकर आ रहे हैं. इस मॉडिफाइड पम्प एक्शन गन में अलग से एक डिफ्लेक्टर लगाया जायेगा. इसकी वजह से पैलेट गन से निकलने वाली पैलेट सीने से ऊपर नहीं लगेगी. गौतरलब है कि पिछले साल कई महीनों तक कश्मीर में चलने वाली पत्थरबाजी में करीब 4 दर्जन लोग इन छर्रों से घायल हो गए थे. इस बार बार इन तमाम घटनाओं से बचने के लिए सीआरपीएफ ऐसे कदम उठा रही है.

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पत्थरबाजी पर रोक के लिए हो रही कोशिशें
कश्मीर घाटी में हिंसक प्रदर्शनों को दबाने के लिए तीखी जेली से भरे हुए ग्रेनेड सुरक्षा बलों के हथियारों के जखीरे में शामिल किए जाने को लेकर भी अलग से लैब टेस्टिंग चल रही है. पावा शेल की ही तरह और ताकतवर आंसू गैस गोला बनाने का प्रयास चल रहे हैं. इस तरह के ग्रेनेड फटने पर आंखों में तेज जलन होगी. हालांकि इस बीच पैलेट गन का इस्तेमाल भी जारी रहेगा. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पैलेट गन का इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब कम जानलेवा हथियार पत्थरबाजों पर काबू पाने में नाकाम रहेंगे. इसे अंतिम हथियार के तौर पर और फायरिंग का आदेश दिए जाने से पहले तक इस्तेमाल किया जाएगा.

सूत्रों ने बताया कि अर्ध-ठोस अवस्था के रसायन ओलोइयोरेसिन के साथ तीखे जेल इन ग्रेनेड में डाले जा सकते हैं, ताकि उपद्रवी भीड़ से निपटा जा सके. इस तरह का सुझाव गृह मंत्रालय के पास एक मीटिंग के दौरान आया था. यहां इस बात को बताना जरूरी हो जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते विरोध प्रदर्शन में नाबालिगों को लगे पैलेट और उन्हें हुए शारीरिक नुकसान के मद्देनजर राज्य और केन्द्र सरकार को दूसरे तौरतरीके इस्तेमाल की हिदायत दी थी.

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हालांकि बीते मंगलवार गृह मंत्रालय ने कहा था कि कश्मीर घाटी में दंगाइयों को तितर बितर करने के क्रम में यदि सुरक्षा बलों के वैकल्पिक उपाय विफल हो जाते हैं तो वे पैलेट गन का इस्तेमाल कर सकते हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने लोकसभा में लिखित जवाब में यह जानकारी दी थी. उन्होंने बताया कि सरकार ने 26 जुलाई 2016 को एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. इस समिति को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी कि वह गैर घातक हथियारों के रूप में पैलेट गन के अन्य विकल्पों की तलाश करे.लिखित जवाब में बताया गया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उचित कार्रवाई के लिए सरकार उस पर काम कर रही है.

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