जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के लिए पीडीपी ने विचार-विमर्श की प्रक्रिया कर दी है. राज्यपाल एनएन वोहरा के साथ इस हफ्ते होने वाली संभावित चर्चा से पहले गठजोड़ को लेकर पार्टी के अंदर विचार हचलत मची हुई है. पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता नईम अख्तर का कहना है कि सरकार गठन के लिए गठजोड़ की विभिन्न संभावनाओं पर नव निर्वाचित विधायकों के साथ अनौपचारिक बातचीत हुई है. अख्तर ने इस बात का भी जिक्र किया कि बीजेपी के साथ गठजोड़ सहित पीडीपी के लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं.
अख्तर ने कहा, 'राज्यपाल के साथ पार्टी नेतृत्व की बैठक से पहले हम पार्टी के अंदर एक आम राय बनाने की प्रक्रिया में हैं.' वोहरा ने शुक्रवार को पीडीपी और बीजेपी को अलग-अलग पत्र भेजकर उनके नेताओं को सरकार गठन पर चर्चा के लिए एक जनवरी से पहले आने का न्योता दिया है. इनमें पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं.
पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद मेडिकल जांच के लिए इस हफ्ते पहली बार रविवार को अपने गुपकार रोड स्थित आवास से बाहर निकले. अख्तर ने बताया, 'उन्होंने (सईद ने) कुछ समय पहले आंख की सर्जरी कराई थी और वह इसके बाद होने वाली जांच के लिए गए.' गौरतलब है कि पीडीपी ने शनिवार को बीजेपी के लिए सख्त शर्तें रखीं. दरअसल, बीजेपी राज्य में नई सरकार के गठन के लिए उसे रिझा रही है. पीडीपी ने घोषणा की कि संविधान के अनुच्छेद 370 (जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा) को खत्म करने के खिलाफ पार्टी के रूख पर कोई बातचीत नहीं हो सकती.
बीजेपी से गठजोड़ पर कशमकश
पीडीपी ने संकेत दिया कि पार्टी को बीजेपी के साथ गठजोड़ करने में काफी मुश्किलें पेश आ रही हैं, जिसके 25 विधायक हैं. पीडीपी ने यह भी कहा कि वह विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो बीजेपी को स्वीकार्य होने की संभावना नहीं है. पार्टी ने कहा कि सभी विकल्प खुले हुए हैं और फिलहाल कोई फैसला नहीं किया गया है, लेकिन खबर है कि बीजेपी के साथ किसी भी तरह के गठजोड़ पर वह अपने विधायकों के एक बड़े धड़े से सख्त विरोध का सामना कर रही है.
पीडीपी के पास एक अन्य विकल्प यह है कि वह कांग्रेस का समर्थन ले, जिसके 12 विधायक हैं. साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन ले जिसके 15 विधायक हैं. वह दोनों पार्टियों से संपर्क में है. बहरहाल, राजनीतिक गलियारों में ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि यदि पीडीपी के साथ बीजेपी किसी समझौते तक नहीं पहुंचती है तो बीजेपी एक जनवरी तक राज्यपाल को 30 विधायकों की एक सूची पेश कर यह दिखाएगी कि उसके पास पीडीपी से दो विधायक अधिक हैं. इससे यह संभावना बनेगी कि उसे सरकार गठन के लिए पहले आमंत्रित किया जाए.
-इनपुट भाषा से