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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है. यहां अखनूर में सेना ने एक विशाल पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया. इस ड्रोन के साथ पुलिस ने 5 किलो IED भी बरामद किया है.
इस ड्रोन का आकार काफी बड़ा है और इसका व्यास 6 फीट है. ड्रोन का वजन 17 किलो है. प्राथमिक जानकारी के अनुसार ये ड्रोन चीन में बना है और इसके कुछ पार्ट ताइवान में बने हैं.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 1 महीने से ड्रोन से जुड़ी गतिविधियां तेज हुई हैं. जम्मू में 27 जून को भारतीय वायुसेना स्टेशन पर विस्फोटक गिराने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था.
8 KM अंदर घुस गया था ड्रोन
हैरानी की बात यह है कि ये ड्रोन भारतीय सीमा में 8 किलोमीटर अंदर तक घुस गया था. तब सुरक्षा एजेंसियों को इस ड्रोन की मौजूदगी का पता चला. इस ड्रोन को गिराने के लिए सेना ने AK-47 का इस्तेमाल किया तब इस ड्रोन को गिराया जा सका.
आतंकियों के हाथ लग सकता था 5 KG IED
इस ड्रोन से 5 किलोग्राम आईईडी भी बरामद हुआ है. इस विस्फोटक को असेंबल किया जाना था. अगर ये विस्फोटक देश के दुश्मनों के हाथ लग जाता तो इसका इस्तेमाल आतंकियों द्वारा किया जाता. अब सुरक्षा एजेंसियां यह जांच कर रही हैं कि क्या लश्कर देश में आतंकी हमले करने के लिए पाकिस्तान से विस्फोटक मंगाने के लिए ड्रोन का सहारा ले रहा है?
सोपोर में दो आतंकी ढेर
उधर, सोपोर में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई. इसमें लश्कर के कमांडर समेत दो आतंकी ढेर हो गए. इनमें से एक आतंकी फयाज नागरिकों और सुरक्षाबलों पर कई हमलों और हत्याओं में शामिल था. बताया जा रहा है कि ऑपरेशन पूरा हो चुका है. यह गुरुवार शाम को शुरू हुआ था.
एक्शन में आए सुरक्षाबल
27 जून को IAF स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले में दो लोगों को हल्की चोटें आईं थीं, लेकिन हाई सिक्योरिटी जोन में इस तरह की वारदात के सामने आने से एजेंसियां एक्टिव मोड में आ गई थीं. पीएम नरेंद्र मोदी ने ड्रोन पर उभरते खतरे को लेकर एक उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई थी. सुरक्षाबलों के मुताबिक, आतंकी समूहों के बढ़ते खतरे के बीच ड्रोन सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आया है. इतना ही नहीं जांच में यह बात सामने आई थी कि यह हमला पाकिस्तान या उसके समर्थकों की ओर से किया गया है. पाकिस्तान की ड्रोन हमले में संलिप्तता है.
ड्रोन लगातार बनता जा रहा है खतरा
सुरक्षाबलों के मुताबिक, पहले सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल भारतीय क्षेत्र के अंदर मुद्रा, हथियार और गोला-बारूद गिराने के लिए किया जा चुका है. आतंकी गतिविधियों में मानव रहित हवाई वाहनों के इस्तेमाल की शुरूआत हो चुकी है. इसे डिटेक्ट करने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है, जिससे इस नए और उभरते खतरे को प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी किया जा सके.