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DSP हत्याकांडः दागदार है अलगाववादियों का दामन, खून से रंगे हैं इनके हाथ!

इसमें वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि 10 वायुसेना कर्मी जख्मी हो गए थे. हालांकि इस मामले में यासीन मलिक को अभी तक सजा नहीं मिली है.

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डीएसपी की हत्या
डीएसपी की हत्या

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जम्मू-कश्मीर के नौहटा में डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. अयूब नौहटा की मशहूर जामिया मस्जिद के बाहर ड्यूटी पर तैनात थे. अब इस वारदात के पीछे अलगाववादी नेताओं के हाथ होने की बात कही जा रही है. यह पहला मौका नहीं है, जब सुरक्षाकर्मी की हत्या को लेकर अलगाववादी नेताओं पर अंगुली उठाई जा रही है. इससे पहले 25 जनवरी 1990 में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकी हमले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक के शामिल होने की बात सामने आई थी.

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इसमें वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि 10 वायुसेना कर्मी जख्मी हो गए थे. हालांकि इस मामले में यासीन मलिक को अभी तक सजा नहीं मिली है. इस घटना के वक्त यासीन मलिक चरमपंथी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का एरिया कमांडर था, जो चीफ कमांडर अशफाक वानी के अंडर में काम करता था. साल 1994 में सेना ने मुठभेड़ में अशफाक वानी को मार गिराया था.

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डीएसपी अयूब पंडित की हत्या भी प्री-प्लानड साजिश बताई जा रही है. भीड़ जानबूझ कर मजलिस से पहले इस तरह का माहौल बनाना चाहती थी. हाल ही में घाटी में कई आतंकियों के मारे गए हैं और अलगाववादियों को पाकिस्तानी फंडिंग मिलने की बात सामने आई है. पाकिस्तानी फंडिंग को लेकर सुरक्षा एजेंसियां कार्रवाई कर रही हैं, जिसके चलते अलगाववादी नेता और आतंकी बौखलाए हुए हैं. ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि अलगाववादियों ने जानबूझकर डीएसपी की हत्या कराई.

मालूम हो कि 25 जनवरी 1990 को सुबह जम्मू एवं कश्मीर के रावलपुरा बस स्टैंड के समीप स्वाड्रन लीडर रवि खन्ना वर्दी में अपने सहकर्मियों के साथ वायुसेना की बस का इंतजार कर रहे थे. वे यहां से एयरपोर्ट जाने वाले थे, लेकिन करीब सुबह 07:30 बजे मारुति जिप्सी और मोटरसाइकिल में सवार होकर आए JKLF के चार-पांच आतंकियों ने AK-47 से उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. इस हमले के बाद JKLF के एरिया कमांडर यासीन मलिक ने हत्यारों का बचाव किया था. यासीन ने कहा था कि वायुसेना कर्मी निर्दोष नहीं थे. वे दुश्मन के एजेंट थे. मामले में यसीन मलिक को गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन बाद में मेडिकल आधार पर जमानत मिल गई थी.

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