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J&K: जम्मू-कश्मीर में इस साल हो सकते हैं चुनाव, आयोग ने रिपोर्ट पर आवाम से मांगे सुझाव और आपत्तियां

Jammu Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की सीटों का परिसीमन अंतिम दौर में है. आयोग अब रिपोर्ट जनता की राय औऱ आपत्तियां लेगा. संभव है कि अब इसी साल यहां चुनाव हो सकते हैं. आयोग ने जो रिपोर्ट पेश की है उसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 114 सीटों का जिक्र है, इनमें से 90 सीटों पर चुनाव होंगे.

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जम्मू-कश्मीर में इस साल चुनाव होने की संभावना है (सांकेतिक तस्वीर)
जम्मू-कश्मीर में इस साल चुनाव होने की संभावना है (सांकेतिक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जम्मू-कश्मीर का 28 और 29 मार्च को दौरा करेगा आयोग
  • 21 मार्च की शाम 5 बजे तक राय- आपत्ति दे सकेंगे लोग

Jammu Kashmir News: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों के परिसीमन का काम अंतिम चरण में है. लिहाजा इसी साल यहां चुनाव होने की संभावना है. परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट का अंतिम मसौदा जनता के सामने रखा है. मसौदे पर लोग 21 मार्च की शाम 5 बजे तक अपनी राय और आपत्तियां दे सकेंगे. इसके बाद परिसीमन आयोग की टीम 28 और 29 मार्च को राज्य का दौरा करेगी. इस दौरान जमीनी हकीकत जानने के साथ साथ प्रशासन सहित कई पक्षकारों के साथ बैठक करेगी.

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जम्मू-कश्मीर को लोकसभा की ढाई-ढाई सीटें


बता दें कि मसौदे के मुताबिक जम्मू-कश्मीर परिसीमन की जो रिपोर्ट जनता के सुझाव के लिए रखी गई है, उसमें विधानसभा की कुल 114 सीटों का जिक्र है, जिनमें 90 सीटों पर फिलहाल चुनाव होंगे. बाकी सीटें पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर वाली हैं. अगर लोकसभा सीटों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर के दोनों संभागों को लोकसभा में ढाई-ढाई सीटें मिलेंगी. जबकि दो-दो सीटें दोनों संभाग में होंगी. जबकि एक सीट साझा हिस्सेदारी वाली होगी. उसमें थोड़ा-थोड़ा हिस्सा दोनों संभाग का होगा.

6 मई तक बढ़ाया आयोग का कार्यकाल


परिसीमन आयोग ने 5 एसोसिएट सदस्यों वाली अपनी अंतरिम रिपोर्ट फरवरी में सौंपी थी. इसमें दो जम्मू संभाग से बीजेपी और तीन कश्मीर संभाग से एनसी के जरिए राज्य की जनता की नुमाइंदगी करने वाले सांसदों को फरवरी में दी थी. 2 हफ्ते में उन्होंने अपनी सलाह, सुझाव और आपत्तियां बताईं. अब जनता अपनी राय देगी. फिर आयोग अंतिम रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपेगा. आयोग का कार्यकाल तीसरी और अंतिम बार दो महीने बढ़ाकर 6 मई 2022 तक किया गया है.

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ये है जम्मू-कश्मीर में सीटों का गणित


जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पहले एकीकृत जम्मू कश्मीर विधानसभा में 111 सीटें थीं. इनमें से 24 पाक अधिकृत कश्मीर के लिए आरक्षित थीं, जिन पर चुनाव नहीं हो पाता था. शेष 87 सीटों में से 4 लद्दाख, 37 जम्मू और 46 सीटें कश्मीर संभाग में थीं. अब केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में 107 सीटें हैं. इनमें प्रस्तावित नए परिसीमन के तहत 7 सीटों को बढ़ाकर 114 किया जाएगा. इसमें 90 सीटों पर चुनाव होगा. 24 सीटें पहले की तरह पाक अधिकृत इलाकों के लिए होंगी, जिन पर चुनाव नहीं हो सकेगा.

कश्मीर में यहां बढ़ सकती हैं सीटें


कश्मीर संभाग में बढ़ाई जाने वाली सीटों में उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में बताई जा रही हैं. जबकि जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और ऊधमपुर जिलों में एक-एक विधानसभा सीट बढ़ाई जाएगी. विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पाक अधिकृत कश्मीर के शरणार्थियों के लिए कोई सीट अब तक चिह्नित नहीं की गई है. सूत्रों के मुताबिक जम्मू संभाग के जिले सांबा के कुछ हिस्सों को मिला कर एक नया विधानसभा क्षेत्र तैयार बनाए जाने की योजना है. साथ ही जम्मू संभाग के 2 अनुसूचित जनजाति बहुल जिले पुंछ में तीन और राजौरी में दो सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाने की सिफारिश भी शामिल है. 2020 में बनाए गए परिसीमन आयोग का कार्यकाल बीते साल 6 मार्च को पूरा होना था, लेकिन कोविड से उपजे हालात में आयोग ये काम पूरा नहीं कर सका था.

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आयोग ने इन्हें सौंपी थी अपनी रिपोर्ट

परिसीमन आयोग ने अपने सहयोगी सदस्यों (जम्मू कश्मीर के पांचों सांसद) नेशनल कांफ्रेंस के डॉ. फारूक अब्दुल्ला, जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी, मोहम्मद अकबर लोन और भाजपा के जुगल किशोर शर्मा और पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. आयोग में जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ केके शर्मा और देश के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी शामिल हैं.

कब हुआ था आयोग का गठन


जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में 6 मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था. आयोग को राज्य की नए स्वरूप के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र पुनर्गठित करने, युक्तिसंगत बनाने, अनुसूचित जनजातियों व जातियों के लिए आरक्षित सीटें तय करने का जिम्मा सौंपा था.

 

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