जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से दो दिन पहले यूरोपीय सांसदों का एक दल घाटी के दौरे पर रहा. इस दौरे के कारण भारत में काफी राजनीतिक विवाद हुआ. 23 EU सांसदों का ये दल अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में जाने वाला पहला विदेशी दल था. मंगलवार को इस दल ने श्रीनगर का दौरा किया, मशहूर डल लेक में शिकारे की सैर की, जिसकी तस्वीरों ने काफी चर्चा बटोरी.
जम्मू-कश्मीर में यूरोपीय दल ने क्या-क्या किया...
- मंगलवार को श्रीनगर पहुंची 23 यूरोपीय सांसदों की टीम ने कई क्षेत्रों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने स्थानीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की, घाटी के पदाधिकारियों से बात की. और घाटी के हालात को जानने की कोशिश की.
- भारतीय सेना की तरफ से इन EU सांसदों को जम्मू-कश्मीर के हालात, सुरक्षा व्यवस्था के बारे में ब्रीफ प्रेजेंटेशन दी गई.
सरपंचों से मिले EU के सांसद
- श्रीनगर में आर्मी हेडक्वार्टर में बैठक के बाद EU सांसद प्राइवेट होटल में गए. यहां पर गांवों को सरपंच, राजनीतिक कार्यकर्ता, पूर्व सेना के जवानों से मुलाकात की. घाटी के हालात के बारे में जानने की कोशिश की.
- देर शाम को 23 सांसदों की टीम श्रीनगर की मशहूर डल झील में घूमने के लिए गए. इस दौरान उन्होंने शिकारे की सवारी की और झील में घूमे. ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय भी बनीं.
डल झील में की शिकारा की सवारी
भारत आए थे कुल 27 सांसद, लेकिन गए 23
सोमवार को नई दिल्ली पहुंचे यूरोपीय सांसदों के इस दल में कुल 27 सांसद आए थे. इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से मुलाकात की. भारत तो कुल 27 सांसद आए थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर सिर्फ 23 सांसद गए. बाकी के चार सांसद अपने देश वापस चले गए. हालांकि, इसके पीछे का कोई कारण सामने नहीं आया.
कुछ सांसदों से वापस लिया गया निमंत्रण
यूरोपीय सांसदों के इस दल में शामिल होने के लिए ब्रिटेन के क्रिस डेविएस, एरिना वोन को भी निमंत्रण भेजा गया था. लेकिन इन सांसदों ने कश्मीर में घूमने के लिए कुछ शर्तें रखी थीं, जैसे कि बिना किसी सुरक्षाबल के घूमना, पत्रकारों की टीम साथ में लेकर चलना. हालांकि, इन शर्तों को नहीं माना गया और बाद में निमंत्रण को वापस ले लिया गया.
श्रीनगर में EU के सांसद
इधर भारत में भी राजनीतिक दलों ने EU सांसदों के दौरे पर सवाल खड़े किए और देश के सांसदों को इजाजत ना मिलने पर निशाना साधा. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने सरकार को इस मसले पर घेरा , साथ ही जिस NGO के द्वारा इस दौरे को तय किया गया उसपर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.