कश्मीर में रमजान के दौरान भारतीय सेना ने ऑपरेशन ऑल आउट तो बंद कर रखा है, लेकिन एक खास 'ऑपरेशन ऑल इन' जारी है. एलओसी पर सेना की चौकसी में कोई कमी नहीं है. कश्मीर घाटी में पत्थर और बन्दूक उठाने वाले युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए सेना कुछ खास तरह के ऑपरेशन चला रही है.
आजतक संवाददाता मनजीत सिंह नेगी सेना के इन खास ऑपरेशन को कवर करने और एलओसी पर सेना की मुस्तैदी को देखने के लिए कश्मीर के कई इलाकों में गए. वो आतंकवाद प्रभावित बांदीपुरा इलाके में पहुंचे, जहां पर सेना की राष्ट्रीय राइफल की एक यूनिट तैनात है. यहां पर सेना एक ओर सीमा पार से घुसपैठ करने वाले आतंकियों का सफाया कर रही है, तो दूसरी तरफ स्थानीय युवाओं को आतंकवाद की तरफ जाने से भी रोक रही है.
आर्मी गुडविल स्कूल
राष्ट्रीय राइफल की यूनिट बांदीपुरा में आर्मी गुडविल स्कूल चला रही है. इस स्कूल की शुरुआत दो बच्चों से हुई और आज यहां पर 500 बच्चे हैं. शुरुआत में आतंकियों ने इस स्कूल की महिला प्रिंसिपल शबनम कौसर को मारने की धमकी दी, लेकिन वो सेना की मदद से लगातार डटी रहीं. इसका नतीजा यह हुआ कि आज इस स्कूल में 500 बच्चे पढ़ रहे हैं.
स्कूल में पढ़ते हैं हर धर्म के बच्चे
प्रिंसिपल शबनम कौसर ने बताया कि इस स्कूल में हिंदू, मुस्लिम और सिख समेत हर धर्म के बच्चे पढ़ते हैं. यह अपने आपमें इस पूरे इलाके में एक बेहतरीन स्कूल है, जो एक नई मिसाल कायम कर रहा है. इस इलाके में आतंकवाद की घटनाएं काफी होती हैं, लेकिन इस स्कूल की वजह से हालात में सुधार आया है. स्थानीय लोगों में अब इस स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने की होड़ लगी रहती है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं इस स्कूल के छात्र
इस स्कूल में हर तरह की बेहतरीन और आधुनिक शिक्षा दी जाती है. खासतौर से बच्चों को खेलकूद, मार्शल आर्ट और कुंगफू की भी खास ट्रेनिंग दी जाती है. इस स्कूल से निकले बच्चे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्शल आर्ट, कुंगफू जैसे खेलों में नाम कमा रहे हैं. कई बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर और गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश और इस इलाके का नाम रोशन कर रहे हैं.
इस स्कूल में दूरदराज के इलाकों से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं, जिनकी उम्र काफी कम है, लेकिन इनके हौसले और सपने बहुत बड़े हैं. कश्मीर घाटी में सेना सिर्फ आतंकियों का ही सफाया नहीं कर रही है, बल्कि इस इलाके में वह युवाओं को नई राह दिखा रही है. राष्ट्रीय राइफल की यूनिट बांदीपुरा में आतंकियों का सफाया करने के साथ ही पत्थर और हथियार उठाने वाले युवाओं को जीवन की नई राह भी दिखा रही है.
युवाओं को नशे और पत्थरबाजी से निकलाने की मुहिम
इसके अलावा सेना बांदीपुरा के इलाके में जो युवा पत्थरबाजी और नशे की चपेट में थे, उन्हें सही राह दिखाने का काम कर रही है. इस काम में सेना की मदद एक युवा लड़की कर रही है. यह लड़की है जाहिदा अख्तर, जो बांदीपुरा की रहने वाली है. इस युवा लड़की ने 'स्टैंड फॉर कश्मीरी यूथ' नाम से एक एनजीओ बनाया है. इसमें सेना ने जाहिदा अख्तर की मदद की.
आज इस एनजीओ के साथ ये युवा कई तरह के प्रोग्राम चला रहे हैं, जिसमें यूथ फेस्टिवल, कई तरह के कम्पटीशन और अलग तरह की गतिविधियां शामिल हैं. इसकी वजह से कश्मीर घाटी में बुरहान वानी की मौत के बाद पत्थरबाजी का जो माहौल बना था, उसमें कमी आई है. खासतौर से बांदीपुरा के जो लड़के पत्थरबाजी की तरफ बढ़ रहे थे, उन्हें वापस लाने में मदद मिली है.
7 आतंकियों को ढेर करने वाले मेजर इमरान निभा रहे खास किरदार
पिछले डेढ़ साल में बांदीपुरा के इलाके में राष्ट्रीय राइफल की इस यूनिट ने 26 आतंकियों का सफाया किया, जिसमें से मेजर इमरान सिद्दीकी ने अकेले सात आतंकियों को मारा. मेजर इमरान सिद्दीकी ने एक ओर जहां कई आतंकियों का सफाया किया, तो वहीं दूसरी तरफ इस इलाके के करीब डेढ़ सौ युवाओं को नया जीवन और नई राह दिखाई है.
इनकी ही कोशिशों का नतीजा है कि आज इस इलाके के 10 लड़के आज जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री में सिपाही बन चुके हैं, जबकि एक लड़का सेना में अधिकारी के रूप में ट्रेनिंग ले रहा है. इसके साथ ही मेजर सिद्दीकी ने कई युवाओं को रोजगार के नए तरीके सिखाए और चिनार क्लब के नाम से यहां पर युवाओं को अलग-अलग रोजगार से जोड़ने वाली गतिविधियों में शामिल किया.
बारामूला में युवाओं को अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती की कराई जा रही तैयारी
घाटी के बारामूला जिले के पट्टन इलाके में भी राष्ट्रीय राइफल की यूनिट है, जो युवाओं को जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री और अर्धसैनिक बलों में भर्ती करने के लिए खास ट्रेनिंग दे रही है. इनको लिखित और शारीरिक परीक्षा की तैयारी कराई जा रही है. ये वो युवा हैं, जो पत्थरबाजी और हथियार उठाने की राह पर आगे बढ़ रहे थे.