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-30 डिग्री में भी जोश हाई, खून जमा देने वाली ठंड में मुस्तैद सेना के जवान

माइनस 20 डिग्री तापमान में सेना के बहादुर जवानों को न केवल भीषण ठंड से बचना होता है, बल्कि दुश्मन के हर एक हलचल पर नजर रखनी होती है. इसके साथ ही किसी भी तरह के शैतानी इरादों या कोशिशों पर तुरंत प्रतिक्रिया भी करनी होती है.

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बर्फ के बीच जिन हालातों में हमारे जवान फर्ज को अंजाम देते हैं वो काबिले-सलाम है
बर्फ के बीच जिन हालातों में हमारे जवान फर्ज को अंजाम देते हैं वो काबिले-सलाम है

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  • तंगधार सेक्टर में LOC के फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचा आज तक
  • यहां जीना चुनौती है और दुश्मनों से निपटना रोजाना की जंग

दिल्ली में जब तापमान गिरता है तो चारों ओर चर्चा होने लगती है. लेकिन आप अंदाजा लगाइए कि ठीक उसी वक्त एलओसी पर क्या माहौल होगा, जहां फिलहाल तापमान माइनस 20 से माइनस 30 डिग्री के बीच चल रहा है. इन विषम परिस्थितियों में सेना के बहादुर जवान किस तरह चुनौतियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में आजतक की टीम तंगधार सेक्टर में LOC के फॉरवर्ड पोस्ट्स तक पहुंची ताकि आपको वहां की जमीनी हकीकत बताई जा सके.

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान लगातार एलओसी पर संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है, इन युद्धविराम उल्लंघनों का भारतीय सेना द्वारा बराबर जवाब भी दिया जा रहा है. इसी बीच एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशें भी बेकार की जा रही हैं. इन सारी चुनौतियों के साथ भारतीय सेना एलओसी पर तापमान से भी मुकाबला कर रही है. क्योंकि एलओसी की इन फॉरवर्ड पोस्ट पर पारा माइनस 20 से माइनस 30 डिग्री के बीच रहता है.

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जवानों को मिलते हैं विशेष कपड़े

यहां माइनस 20 डिग्री तापमान में सेना के बहादुर जवानों को न केवल भीषण ठंड से बचना होता है, बल्कि दुश्मन के हर एक हलचल पर नजर रखनी होती है. इसके साथ ही किसी भी तरह के शैतानी इरादों या कोशिशों पर तुरंत प्रतिक्रिया भी करनी होती है. मौसम की मार और दुश्मन से मुकाबले के लिए जवानों को यहां विशेष कपड़े और विशेष उपकरण दिए जाते हैं. बर्फ के बीच जिन हालातों में हमारे जवान फर्ज को अंजाम देते हैं वो काबिले-सलाम है.

कठिन अभ्यास और मेडिकल टेस्ट है जरूरी

एलओसी के ग्राउंड कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल अजीत ने आजतक से हुई खास बातचीत में बताया कि यहां हमारे सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं. इन विषम परिस्थितियों में देश की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले प्रत्येक सैनिक को फॉरवर्ड पोस्ट्स पर भेजे जाने से पहले कठिन अभ्यास और चिकित्सीय परीक्षणों से गुजरना पड़ता है.

बर्फ पिघलाने पर मिलता है पानी

सेना के डॉक्टर डॉ. वैभव ने आजतक को बताया कि इन जवानों को पानी की एक-एक बूंद के लिए तमाम जद्दोजहद का सामना करना पड़ता है. क्योंकि पानी की हर एक बूंद जम जाती है और स्टोव पर बर्फ पिघलने के बाद पानी मिलता है. जवानों को फिट और तनाव मुक्त रखने के लिए पोस्ट में मनोरंजन कक्ष भी स्थापित किए गए हैं.

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