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मोदी से मिले पूर्व कश्मीरी अलगाववादी नेता सज्जाद लोन, BJP से गठबंधन के कयास

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अपने 'मिशन-44' की तैयारी और उसके तहत लामबंदी तेज कर दी है. एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व अलगाववादी नेता सज्जाद लोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की.

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Sajjad Lone
Sajjad Lone

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में अपने 'मिशन-44' की तैयारी और उसके तहत लामबंदी तेज कर दी है. एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सोमवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व अलगाववादी नेता सज्जाद लोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की. मुलाकात के बाद सज्जाद लोन के तेवर बदले-बदले से नजर आए. उन्होंने बीजेपी और नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री को कश्मीर का दोस्त बताया. उन्होंने कहा कि मोदी मुसलमानों के दुश्मन नहीं हैं.

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लोन ने कहा कि प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें ऐसा लगा कि वह बड़े भाई से मिले हैं. उन्होंने कहा कि उनकी चर्चा कश्मीर, उसके विकास और बाढ़ राहत पर ही केंद्रित रही और इस दौरान प्रधानमंत्री का रवैया सकारात्मक रहा. उन्होंने कहा, 'हम सभी से मिलते हैं. मैं सिर्फ राहत और पुनर्वास की बात करने आया था.'

'मोदी बदल सकते हैं घाटी की तकदीर'
इस नए समीकरण के बारे में पूछे जाने उन्होंने 'आज तक' से कहा कि मैं पागल नहीं हूं जो राजनीतिक खुदकुशी करूं. कश्मीरियों का एक छोटा सा हिस्सा ही मोदी के खिलाफ है. उन्हें विकास पुरुष के तौर पर देखा जाता है जो घाटी की तकदीर बदल सकते हैं. लोन ने बताया कि उन्होंने मोदी से श्रीनगर को स्मार्ट सिटी बनाने और वहां नया टूरिस्ट कॉरिडोर बनाने पर चर्चा की. उनके प्रस्तावों पर मोदी ने सकारात्मक जवाब दिया.

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{mospagebreak}'सेना ने पहली बार मांगी माफी'
हाल ही में कश्मीर में सेना की गोली से गलती से मारे गए युवकों के मामले पर भी उन्होंने मोदी सरकार के रुख की तारीफ की. उन्होंने कहा कि बीते 25 साल में एक भी सरकार ने इस तरह के हादसों के लिए माफी नहीं मांगी. उन्होंने कहा कि सेना की उत्तरी कमान की ओर से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी गई, इससे पता चलता है कि मोदी दूसरे प्रधानमंत्रियों से अलग हैं.

हो सकता है चुनाव बाद गठबंधन
उन्होंने कहा कि कश्मीर में शांति और विकास की सबसे ज्यादा संभावनाएं बीजेपी और मोदी की अगुवाई में ही हैं. बीजेपी में शामिल होने के सवाल को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने चुनाव बाद बीजेपी से गठबंधन की संभावनाओं से इनकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि अगर मैं (पार्टी) कुछ सीटें जीता और बीजेपी को मेरी जरूरत पड़ी तो यह संभव है. उन्होंने कहा कि उनका शुरुआती मकसद कश्मीर को उन दो परिवारों से छुटकारा दिलाने का है जिन्होंने 6 दशकों में प्रदेश को बर्बाद कर दिया.

हुर्रियत को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि अगर हुर्रियत कश्मीर पंडितों के वोट काटने को लेकर वाकई फिक्रमंद है तो उसे लोगों से वोट करने की अपील करनी चाहिए, न कि चुनाव बहिष्कार की.

अगले पेज पर पढ़ें, क्या यह नई दोस्ती की शुरुआत है?

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{mospagebreak}क्या यह नई दोस्ती की शुरुआत है?
सज्जाद लोन भले ही इस बातचीत को कश्मीर के विकास पर केंद्रित बता रहे हों, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे नई दोस्ती की संभावनाओं के रूप में भी देखा जा रहा है. इससे पहले बुधवार को बीजेपी महासचिव राम माधव ने भी सज्जाद लोन से मुलाकात की थी और चुनाव बाद गठबंधन से इनकार नहीं किया था. हेडलाइंस टुडे से बातचीत में राम माधव ने कहा था, 'हम जम्मू-कश्मीर में परिवारों द्वारा चलाई जा रही पार्टियों को हराने वाली किसी भी डेमोक्रेटिक पार्टी का साथ देने को तैयार हैं. चुनाव प्रक्रिया में शामिल लोगों से मिलने में कोई हर्ज नहीं है.'

हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल को सज्जाद लोन की पीएम से मुलाकात में ज्यादा कुछ राजनीतिक नहीं नजर आ रहा. उन्होंने कहा, 'किसी को इसका ज्यादा मतलब नहीं निकालना चाहिए. प्रधानमंत्री से मिलने का यह मतलब नहीं कि वह बीजेपी से मिल रहे हैं. अगर वह अमित शाह से मिलते तो बात कुछ और होती. पिता की मौत के बाद से वह राजनीति में मजबूत होने की कोशिश में है. लेकिन वह कामयाब नहीं हो सके. हो सकता है कि इस मुलाकात से वह नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत दूसरी पार्टियों को कुछ सिग्नल देना चाहते हों.'

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