scorecardresearch
 

उत्तर से दक्षिण तक कश्मीर घाटी आतंकवाद की चपेट में-इस साल 164 नई भर्ती, 180 आतंकियों का सफाया

हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद दक्षिण कश्मीर में स्थानीय युवकों के आतंकी संगठनों में शामिल होने की संख्या में इजाफा हुआ था, लेकिन अब उत्तर कश्मीर भी इससे अछूता नहीं है.

Advertisement
X
सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

Advertisement

सुरक्षाबलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में आतंक के सफाए के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑल आउट को शुरू हुए एक वर्ष हो गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक साल की शुरुआत से अब तक कश्मीर में 164 स्थानीय युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अख्तियार किया, 180 से ज्यादा आतंकी मारे गए और तकरीबन 350-400 आतंकी घाटी में सक्रिय हैं.

बुरहान वानी के सफाए के बाद चला हिंसा का दौर

जुलाई 2016 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद एनकाउंटर, बंद और हिंसा का दौर सिर्फ दक्षिण कश्मीर तक सीमित था. हालांकि हाल में उत्तर कश्मीर में आतंकी मन्नान वानी के मारे जाने और स्थानीय स्तर पर आतंकियों की बढ़ती भर्ती से ऐसा प्रतीत होता है कि दक्षिण कश्मीर के बाद अब आतंकवाद ने उत्तर कश्मीर को भी अपने चपेट में ले लिया है.

Advertisement

दरअसल जुलाई 2016 से पहले दक्षिण कश्मीर, उत्तर कश्मीर की तुलना में शांत माना जाता था. जबकि उत्तर कश्मीर नियंत्रण रेखा पार कर आए सीमा पार के आतंकियों का गढ़ माना जाता था, जो बांदीपोरा, बारामुला और कुपवाड़ा के जंगलों में शरण लेते थे. हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद 6 महीने तक पूरे कश्मीर प्रदर्शन का दौर चला. हालांकि सुरक्षा बलों ने स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफलता भी हासिल की, लेकिन स्थानीय स्तर पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, शोपियां और पुलवामा जिले से युवाओं की आतंकवादी संगठनों में भर्ती में बढ़ोतरी हुई.

इस बीच उत्तर कश्मीर में हुए सुरक्षा बलों से मुठभेड़ों में अधिकतर मारे गए आतंकी सीमा पार से आए थे, जबकि दक्षिण कश्मीर में मारे गए आतंकी स्थानीय थें.

दक्षिण में बुरहान और उत्तर में मन्नान बना चेहरा

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र का रहने वाला बुरहान वानी एक समय में घाटी में आतंक का चेहरा बन गया था. उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले का रहने वाला मन्नान वानी जो कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पीएचडी का छात्र था और 7 जनवरी 2018 को एके-47 के साथ उसकी फोटो वायरल होने के एक दिन बाद हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन ने इसकी पुष्टि की थी कि मन्नान हिज्बुल में शामिल हुआ है. इससे साफ हो गया कि अब तक स्थानीय आतंकवाद से अछूते उत्तर कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. 

Advertisement

10 अक्टूबर को कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में मारे गए आतंकी मन्नान वानी पर सुरक्षाबलों के सूत्रों के मुताबिक मन्नान पिछले 9 महीने से दक्षिण कश्मीर के जिलों में सक्रिय था और उसे उत्तर कश्मीर में स्थानीय युवकों की भर्ती के लिए भेजा गया था. लेकिन इससे पहले कि वो और युवकों को हथियार उठाने के लिए बहकाता, अपने एक साथी के साथ मार गिराया गया.

स्थानीय युवकों की बड़े पैमाने पर हो रही भर्ती

सुरक्षाबलों के सूत्रों के अनुसार उत्तर कश्मीर में सक्रिय ज्यादातर आतंकी पाकिस्तानी हैं, जबकि दक्षिण कश्मीर में स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं. इनके मास्टरमाइंड सीमा पार बैठकर इन्हें निर्देश देते है. सीमा पार बैठे इनके सरगनाओं का मानना है कि स्थानीय समर्थन और सहानुभूति हासिल करने के लिए इन्हें स्थानियों, खासकर उत्तर कश्मीर में भी पैर जमाना पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक कश्मीर घाटी में अभी 350-400 आतंकी सक्रिय हैं और जनवरी से अब तक घाटी के 164 युवकों ने आतंकवाद का रास्ता अख्तियार किया है. यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है. साल 2015 में 66 कश्मीरी युवक और 2016 में 88 कश्मीरी युवक आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए थे, जबकि 2017 में यह संख्या बढ़कर 120 हो गई. और इस साल जनवरी से अब तक यह संख्या 180 तक पहुंच गई है.

Advertisement

अकेले अक्टूबर के महीने में सुरक्षाबलों ने हिज्बुल और लश्कर के 17 आतंकियों को मार गिराया है. 2016 में कश्मीर में 150 और 2017 में 213 आतंकी मारी गए थे. आंकड़ों के मुताबिक 2016 में उत्तर कश्मीर में 18 मुठभेड़ों में 28 आतंकी मारे गए और 2017 में 24 मुठभेड़ों में 32 आतंकियों का सफाया हुआ. लेकिन 2018 में उत्तर कश्मीर में 31 एनकाउंटर में 40 आतंकी मारे गए. वहीं उत्तर कश्मीर के इलाके में आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए

44 बार सीमा पार से संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ. सुत्रों के मुताबिक अभी उत्तर कश्मीर में तकरीबन 100 आतंकी सक्रिय हैं जिनमें 16 स्थानीय शामिल हैं.  

सुरक्षाबलों के लिए दोहरी चुनौती

दक्षिण कश्मीर में आतंकी सोशल मीडिया के जरिए पुलिस जवानों, सेना के खबरी, मुख्यधारा के नेताओं को धमका रहे हैं. जिसे देखते हुए प्रशासन ने कई बार इस इलाके में मोबाइल, इंटरनेट सेवाएं भी बंद की. हाल ही में उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा और बारामुला जिलों से कुछ वीडियो वायरल हुए जिसमें लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित स्थानीय आतंकी राज्य में होने वाले पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों और स्थानीय नेताओं को धमकाते हुए पाए गए कि यदि उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

नाम न बताने की शर्त पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तर कश्मीर में दक्षिण कश्मीर की तुलना में आतंकियों की संख्या कम नहीं है. जिस तरह से दक्षिण कश्मीर में आतंकी सार्वजनिक सभाओं, मस्जिदों और बाजारों में देखे जाते थे उसी तरह अब उत्तर कश्मीर में भी स्थानीय युवकों ने मुठभेड़ स्थलों पर सुरक्षाबलों से मोर्चा लेना और एनकाउंटर के दौरान बाधा डालना शुरू कर दिया है. इसलिए इस इलाके में भी दक्षिण कश्मीर की तरह कानून व्यवस्था कायम रखने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.  

Advertisement

उत्तर कश्मीर में LeT बना रहा बेस

एक तरफ सुरक्षाबलों के कानून व्यवस्था कायम रखने में मुश्किले आ रही हैं, तो दूसरी तरफ उनके सामने सीमा पार से घुसपैठ कर आए आतंकियों का शहरों और कस्बों में पहुंचने से पहले सफाया करना भी एक चुनौती है. इससे पहले घाटी का सुरक्षा तंत्र संतुष्ट था उसने आतंकवाद को दक्षिण कश्मीर में सीमित कर रखा है, जबकि उत्तर कश्मीर में रणनीति सीमा पार से हो रहे घुसपैठ पर केंद्रित थी. लेकिन अब सुरक्षाबलों के लिए चुनौती यह है कि लश्कर से जुड़े आतंकी उत्तर कश्मीर के बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिले में अपना बेस बना रहे हैं.

Advertisement
Advertisement