जम्मू-कश्मीर के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से चार दशक पुराना नाता तोड़कर डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) पार्टी बनाई. जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक जमीन पर अभी पार्टी उतरी भी नहीं कि एक के बाद एक नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं. पिछले दो दिनों में चार बड़े नेता गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी से अलग हो गए हैं. माना जा रहा है कि डीएपी से अलग हुए नेता एक बार फिर से कांग्रेस में घर वापसी कर सकते हैं.
गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी बने अभी तीन महीने ही हुए हैं, लेकिन पार्टी के अंदर जबरदस्त उठापटक शुरू हो गई है. जय सिंह ने डीएपी के प्रदेश सचिव बनने के 24 घंटे के भीतर पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद गुरुवार को तीन बड़े नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. गुलाम नबी आजाद ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पूर्व उप मुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व मंत्री डॉ. मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह को बाहर का रास्ता दिखाया है.
इन तीन नेताओं की हो सकती है घर वापसी
जम्मू-कश्मीर की सियासत में ताराचंद, डॉ. मनोहर लाल और बलवान सिंह दिग्गज नेता माने जाते हैं. ये तीनों ही नेता कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आजाद की पार्टी में जुड़े थे. कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा था, लेकिन अब तीन महीने में ही तीनों नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. तीनों ही दिग्गज नेता दोबारा से कांग्रेस में लौट सकते हैं. माना जा रहा है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब जम्मू-कश्मीर पहुंचेगी तो उसी समय तीनों नेताओं की घर वापसी कराई जा सकती है.
गुलाम नबी आजाद की पार्टी से निष्कासित किए गए पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद अपने समर्थकों से कांग्रेस में शामिल होने के लिए विचार-विमर्श कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह जन्म से कांग्रेसी हैं और वह फिर से लौट सकते हैं, क्योंकि गुलाम नबी आजाद की पार्टी केवल धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित कर रही है. हमें उस वक्त पार्टी से निकाला गया जब कांग्रेस में लौटने पर विचार कर रहे थे, ज्यादातर लोग उनकी पार्टी छोड़ चुके है. जम्मू-कश्मीर में अब उनका कोई अस्तित्व नहीं रह गया है और कुछ लोग ही बचे रह जाएंगे.
जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या कहा?
जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस अध्यक्ष विकार रसूल ने aajtak.in से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस में हर शख्स का स्वागत है. तारा चंद, डॉ. मनोहर लाल, बलवान सिंह और जय सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं और ये चारो नेता जल्दबाजी में कांग्रेस से गुलाम नबी आजाद की पार्टी में चले गए थे, लेकिन उन्हें चंद दिनों में हकीकत का एहसास हो गया है. इतना ही नहीं वे गुलाम नबी की राजनीतिक एजेंडे को भी समझ चुके हैं कि वह बीजेपी की बी-टीम के सिवा कुछ नहीं है. बीजेपी के मकसद के लिए उन्होंने पार्टी बनाई है. इसीलिए एक-एक कर तमाम नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं और कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.
विकार रसूल कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद का जम्मू-कश्मीर में वही राजनीतिक हश्र होगा जो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह का हुआ है. पिछले एक महीने में दर्जनों छोटे-बड़े नेता गुलाम नबी की पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए हैं. ताराचंद, डॉ. मनोहर लाल, बलवान सिंह और जय सिंह के छोड़ने के बाद उनकी पार्टी में कोई नहीं बचा है. ये सभी नेता अगर कांग्रेस में आते हैं, तो उनका खुले दिल से स्वागत करेंगे. जम्मू रीजन में ये चारों ही नेताओं की अपनी सियासी हैसियत है और उनके आने से कांग्रेस को मजबूती मिलेगी.
जम्मू कश्मीर में अगले महीने राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा पहुंच रही है. माना जा रहा है कि कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आजाद के साथ गए नेताओं की वापसी कराकर एक माहौल बनाने की रणनीति पार्टी ने बनाई है. विकार रसूल ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के लिए हम सभी को निमंत्रण दे रहे हैं, जिसमें एनजीओ सहित अलग-अलग क्षेत्र के लोग हैं. यह भारत जोड़ो यात्रा राजनीतिक नहीं है, लेकिन ताराचंद, मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह अगर राहुल गांधी की मौजूदगी में प्रदेश में होने वाली भारत जोड़ो यात्रा में शिरकत करते हैं तो कांग्रेस में उनकी वापसी का गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा.