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DSP अयूब पंडित के नाम से जाना जाएगा कश्मीर का ये स्कूल, पढ़ें उस खौफनाक रात की कहानी जब भीड़ ने की थी हत्या

कश्मीर में खानयार का सरकारी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल अब शहीद डीएसपी अयूब पंडित के नाम से जाना जाएगा. साल 2017 के जून महीने में भीड़ ने उनकी हत्या कर दी गई थी. ये हत्या उस वक्त हुई थी जब डीएसपी रमजान के महीने में मस्जिद की सुरक्षा में बतौर इंचार्ज तैनात थे. भीड़ ने उनको घेर कर हमले किए थे. इस हत्या से घाटी सिहर उठी थी.

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शहीद डीएसपी अयूब पंडित
शहीद डीएसपी अयूब पंडित

जम्मू-कश्मीर की उपराज्यपाल सरकार ने शहीदों को सम्मान देते हुए स्कूलों, पुलों, खेल केंद्र जैसे 57 बुनियादी ढांचे शहीदों के नाम पर करने का ऐलान किया है. इसमें एक नाम शहीद डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित का है. अब सरकारी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, खानयार उनके नाम से जाना जाएगा. अयूब जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्म कालीन राजधानी श्रीनगर में एक बड़े से घर में रहते थे. इसमें अयूब, उनकी पत्नी, बच्चे और दो बड़े भाई फारूक अहमद पंडित और गुलजार अहमद पंडित भी रहते थे. अब आपको उस खौफनाक रात के बारे में बताते हैं जब उन्मादी भीड़ ने उनकी जान ले ली थी.

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साल 2017, तारीख 22 जूनः वो रमजान महीने की शब-ए-कद्र की रात थी. मोहम्मद अयूब पंडित श्रीनगर की जामा मस्जिद की सुरक्षा में तैनात थे. उन्होंने रोजा भी रखा था. कर्तव्य के साथ धर्म को निभाते हुए पंडित नमाज पढ़कर मस्जिद से निकल रहे थे. इसी दौरान भीड़ ने उन्हें घेर लिया और हमला कर दिया. अयूब ने अपने बचाव में दो से तीन राउंड फायरिंग की, लेकिन भीड़ ने उनको चारों तरफ से घेरकर हमले किए और हत्या कर दी.

खौफनाक रात से ज्यादा दिल को झकझोर देने वाली सुबह

इस खौफनाक रात से ज्यादा दिल को झकझोर देने वाली अगली सुबह हुई. मस्जिद के बाहर उनका शव पड़ा था. जब शव की शिनाख्त हुई तो लोग सकते में आ गए. जिसने भी सुना कि पुलिस अधिकारी अयूब पंडित की हत्या कर दी गई है, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. भारी संख्या में लोग वहां पहुंचे. किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि उन्होंने अपना होनहार लाल खो दिया है. 

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कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी अयूब ने मदद की थी

भीड़ की बर्बरता ने हर शख्स को झकझोर कर रख दिया था. उन पर तब तक हमले किए गए जब तक उन्होंने दम नहीं तोड़ दिया. इसके बाद उनके शव को घसीटा भी. इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली बात तो ये थी कि इसमें कुछ लोग ऐसे भी थे जिनकी अयूब ने साल 2015 में आई भयंकर बाढ़ में मदद भी की थी. हत्या के बाद अयूब का पूरा परिवार महीनों मातम के साए में रहा. उनकी हत्या को लेकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा भी हुआ था. अयूब के समर्थक उनके हत्यारों के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे थे. अधिकारी की हत्या से पुलिस महकमे में भी शोक का माहौल था. 

सुरक्षाबलों के सब्र का इम्तिहान न लें -महबूबा मुफ्ती

इस हत्या पर तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अयूब को श्रद्धांजलि देने के साथ ही भीड़ से दो टूक कहा था कि राज्य पुलिस पूरे संयम का परिचय दे रही है. सुरक्षाबलों के सब्र का इम्तिहान न लें. 

अपने बचाव में दो से तीन फायर किए थे -तत्कालीन डीजीपी

तत्कालीन डीजीपी एसपी वैद्य ने इस घटना के बाद कहा था, "भीड़ ने डीएसपी अयूब को पीटना शुरू किया तो उन्होंने अपने बचाव में दो से तीन फायर किए. इसमें कुछ लोग घायल हुए. उन्होंने ये भी बताया कि अयूब उस समय जामिया मस्जिद के सुरक्षा इंचार्ज थे." 

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17 आरोपियों को एनआईए की विशेष अदालत ने जमानत दी

इस मामले में पुलिस ने 20 लोगों को चार्जशीट किया था. इसमें बीते साल सितंबर महीने में 17 आरोपियों को एनआईए की विशेष अदालत ने जमानत दी थी. 

 

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