जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की मौत के बाद राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. सईद की मौत के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती का मुख्यमंत्री बनाना लगभग तय है, लेकिन उनकी ओर से शपथ लेने में की जा रही देरी के कारण राज्य में राज्यपाल शासन लगना तय हो गया है.
जानकारी के मुताबिक, राज्यपाल ने पीडीपी और बीजेपी दोनों दलों को चिट्ठी लिखकर राज्य में सरकार निर्माण को लेकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. यदि महबूबा मुफ्ती शपथ लेती हैं तो वह जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी. बीजेपी की ओर से भी महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनाए जाने का समर्थन किया गया है. राज्य में बीजेपी और पीडीपी की गठबंधन सरकार है.
महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बीजेपी का कहना है कि अगर महबूबा मुफ्ती अपने पिता के नक्शे-कदमों पर चलेंगी और लोगों को मर्म को समझेंगी तो वह सफल मुख्यमंत्री साबित होंगी. सीएम पद को लेकर बीजेपी नेता राममाधव ने महबूबा मुफ्ती से मुलाकात भी की.
'एजेंडा फॉर अलायंस की विचारधारा लेकर चलें'
नए सीएम को लेकर बीजेपी के विधायकों की बैठक श्रीनगर में हो रही है जिसकी अध्यक्षता बीजेपी के महासचिव राममाधव करेंगे. बीजेपी विधायक रविंदर रैना ने कहा, 'मुफ्ती मुहम्मद सईद को अलविदा. महबूबा को अच्छा अनुभव है. सईद की लाइन पर चलेंगी तो ही शासन सफल होगा. एजेंडा फॉर अलायंस लेकर चलें. हमारी विचारधारा अलग है. ईमानदारी के साथ काम करेंगी तो कोई परेशानी नहीं होगी.'
'पावर के लिए सरकार चला रही है बीजेपी'
वहीं इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि जैसी दूरदर्शिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के पास थी उसकी महबूबा मुफ्ती जगह नहीं ले सकती हैं. सईद देहांत के पहले महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन तब बीजेपी ने नहीं माना था. दोनों पार्टी की विचारधारा अलग-अलग है लेकिन पावर के लिए वह सरकार चला रहे हैं और कब तक गठबंधन सरकार चलेगी.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने कहा, 'यह दो पार्टियों का गठबंधन है. मुफ्ती सईद का मुकाबला कोई नहीं कर सकता. संवैधानिक और वैचारिक तौर पर दोनों पार्टियां अलग-अलग हैं.'
महबूबा के जिम्मे हैं ये दो काम
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि महबूबा मुफ्ती को दो जरूरी काम करने होंगे- एक तो पार्टी को जोड़ कर रखना और दूसरा बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार को करीब पांच साल तक चलाए रखना. यह काम महबूबा मुफ्ती के लिए चुनौतियों का रहेगा.