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कश्मीर विलय दिवस ने मिटाई महाराजा हरि सिंह के दो पोतों की दूरियां

1947 में 22 अक्टूबर को जब जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी काबलियों ने हमला कर दिया था तो महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर को भारत सरकार के साथ इन्स्ट्रुमेंट ऑफ अक्सेशन दस्तावेज पर सिग्नेचर किए थे. 26 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर दस्तखत किए थे और 27 अक्टूबर को सरकार ने विलय पत्र को स्वीकार किया था.

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पहली बार एक साथ नजर आए महाराजा हरि सिंह के पोते
पहली बार एक साथ नजर आए महाराजा हरि सिंह के पोते

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जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के दोनों पोतों को गुरुवार को मनाए गए विलय दिवस ने जोड़ दिया है. जम्मू में 71 किलो के लड्डू ने दोनों भाइयों को एक ही मंच पर ला दिया है जोकि पहले कभी नजर नहीं आता था. दरअसल एक भाई बीजेपी में है और दूसरा पीडीपी में था लेकिन उसने हाल ही में पार्टी से त्यागपत्र दे दिया है.

तस्वीर में महाराजा हरि सिंह के बड़े पोते विक्रमादित्य सिंह और छोटे पोते अजातशत्रु सिंह नजर आ रहे हैं. यह दोनों कांग्रेस नेता डॉ. कर्ण सिंह के बेटे हैं.  पहली बार दोनों एक मंच पर आए हैं और वह भी 71 किलो के लड्डू के साथ, महाराजा हरी सिंह की मूर्ति के नीचे.

गौरतलब है कि 1947 में 22 अक्टूबर को जब जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तानी काबलियों ने हमला कर दिया था तो महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर को भारत सरकार के साथ इन्स्ट्रुमेंट ऑफ अक्सेशन ( instrument of  accession) दस्तावेज पर सिग्नेचर किए थे. जम्मू के तवी पुल पर गुरुवार को जम्मू के लोगों ने विलय दिवस मनाया.

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इस मौके पर विक्रमादित्य सिंह, पोता, महाराजा हरी सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विलय भारत के साथ फाइनल है और जो लोग इस बारे में सवाल उठा रहे हैं उनके मुंह पर तमाचा है. कश्मीर घाटी में जहां अलगाववादी नेता  anti-accession (विलय दिवस के खिलाफ) मना  रहे हैं वही जम्मू में बीजेपी के अलावा करीब एक दर्जन जगहों पर विलय दिवस मनाया गया. तत्कालीन महाराजा हरि सिंह के दोनों पोतों ने भी विलय दिवस के एक कार्यक्रम में शिरकत की और 71  किलो का लड्डू  भी काटा.  

जम्मू बार एसोसिएशन ने भी जम्मू में विलय दिवस मनाया और लोगों से कहा कि 26 और 27 अक्टूबर को सारे जम्मू-कश्मीर में विलय दिवस मनाया जाना चाहिए. बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट, बलबीर सिंह सलाथिया ने बताया कि 26 अक्टूबर को महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर दस्तखत किए थे और 27 अक्टूबर को सरकार ने विलय पत्र को स्वीकार किया था.

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में बुधवार को हुर्रियत कांफ्रेंस और बाकी अलगाववादी नेताओं ने शुक्रवार को ब्लैक डे मनाने का फैसला किया है और कश्मीर बंद का आह्वान भी किया है.

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