जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) के घर मंगलवार को पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) की एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में एक बार फिर से वही मांग उठी जो हर बार उठाई जाती है. गुपकार अलायंस (Gupkar Alliance) की इस बैठक में कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35A को बहाल करने की मांग उठी. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग भी उठी.
गुपकार के नेताओं ने कहा कि, प्रदेश के लोगों को परेशान किया जा रहा है. इसे रोका जाना चाहिए, नहीं तो इसके नतीजे पूरे देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं. इस मीटिंग के बाद PAGD ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो जम्मू-कश्मीर के लोगों के अपमान पर चुप नहीं बैठेंगे.
PAGD के प्रवक्ता मोहम्मद युसुफ तारिगामी ने कहा, 'मौजूदा सरकार लोगों को अपमानित करने पर गर्व महसूस कर रही है. राज्य में और दूसरे काडरों में ऊंचे पदों पर बाहरियों को बैठाया जा रहा है, जबकि जम्मू-कश्मीर के ब्यूरोक्रेट्स को हटाया जा रहा है.' तारिगामी ने बताया कि बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया है, जिसमें 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को दोबारा बहाल करने की बात कही गई है.
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उन्होंने कहा, 'लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. लेकिन ये लंबे समय तक नहीं टिक सकता. लोगों की चुप्पी को सामान्य बताया जा रहा है.' उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ हो रहे इस अपमान को रोका जाना चाहिए, क्योंकि इसके नतीजे न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं.'
तारिगामी ने सवाल पूछते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई ऑल पार्टी मीटिंग के बाद से अब तक कितने नेताओं को रिहा किया गया है.' उन्होंने कहा कि हम ये सुनकर हैरान है कि सरकार के अधिकारी कहते हैं कि किसी भी नेता को हिरासत में नहीं लिया गया है.
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया था. दोनों को ही केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. हालांकि, जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है.