बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भले ही खुद को 'हिंदू राष्ट्रवादी' बताते हों, लेकिन जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का कहना है कि भारत में इस विचार के लिए जगह नहीं है और कोई शख्स ऐसा दावा नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा है कि खुद को किसी भी तरह का धार्मिक राष्ट्रवादी बताने वाले शख्स को आगे कानून के हिसाब से डील किया जाना चाहिए.
नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना जस्टिस मुजफ्फर हुसैन अत्तर ने गुरुवार को कहा, 'हमारे संविधान के मुताबिक भारत का नागरिक सिर्फ भारतीय होता है. कोई भी आदमी यह दावा नहीं कर सकता कि वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध या ईसाई राष्ट्रवादी है.'
उन्होंने कहा, 'संविधान की आत्मा में यह बात बड़ी ही स्पष्ट है, जो इस तरह की भावना जाहिर करने से रोकती है.'
जस्टिस मुजफ्फर हुसैन ने कहा कि भारतीयता के अलावा, दूसरे तरह के 'वाद' या 'विचार' को बढ़ावा देने वाली बाहरी ताकतों से भारत को गंभीर खतरा है.
अदालत ने दिया मंदिरों को बचाने का निर्देश
अदालत ने यह बात कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिकू की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही. टिकू ने संविधान के 'सेक्युलर' चरित्र की दलील देते हुए यह मांग की थी कि घाटी के हिंदू मंदिरों को बचाने के लिए राज्य और प्रशासन को आगे आना चाहिए.
याचिका में उन गैर-कश्मीरी महंतों पर कार्रवाई की मांग भी की गई थी जिन्होंने कथित रूप से धार्मिक प्रॉपर्टी का व्यापार के लिए इस्तेमाल किया.
अदालत ने मुख्य सचिव को हिंदुओं के धार्मिक स्थानों को सुरक्षित रखने के लिए कानूनसम्मत कदम उठाने को कहा है.
जुलाई में दिया था मोदी ने बयान
गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले नरेंद्र मोदी ने खुद को इसलिए 'हिंदू राष्ट्रवादी' बताया था क्योंकि वह जन्म से हिंदू हैं.
मोदी ने जुलाई में एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा था, 'मैं राष्ट्रवादी हूं. देशभक्त हूं. इसमें कुछ भी गलत नहीं. मैं हिंदू पैदा हुआ. इसमें कुछ गलत नहीं. इसलिए मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं.'
मोदी का यह बयान काफी विवादों में रहा. तब भी कई लोगों ने इसे गलत बताया था.
जज ने कहा, 'इस तरह की गलतबयानी करने वाले, बल्कि इस विचार में (धार्मिक राष्ट्रवाद के) यकीन रखने वाले पर संविधान के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए.'