जम्मू-कश्मीर में पिछले साढ़े चार साल में स्थिति बहुत बिगड़ जाने के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध है और उसे राज्य में आम चुनावों के साथ चुनाव करवाने में कोई आपत्ति नहीं है. चुनाव आयोग को कश्मीर में चुनाव संपन्न कराने के लिए जितने भी सुरक्षा बलों की आवश्यकता होगी, हम उसे मुहैया कराने के लिए तैयार हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव संपन्न कराने के लिए सुरक्षा बल मांगे जाने पर पर्याप्त सुरक्षा कर्मी मुहैया कराए जाएंगे. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के सांविधिक संकल्प पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही. उनके जवाब के बाद उच्च सदन ने इस संकल्प को ध्वनिमत से पारित कर दिया. जबकि निचली सदन लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
पिछले महीने से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है. इससे पहले वहां राज्यपाल शासन लगा हुआ था. राज्य में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार थी, लेकिन बाद में बीजेपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके चलते राज्य में 6 महीनों के लिए राज्यपाल शासन लग गया, जो दिसंबर में खत्म हो गया और इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने बहस के दौरान कहा कि अगर चुनाव आयोग (लोकसभा चुनाव के साथ) राज्य में विधानसभा चुनाव करवाना चाहता है, तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं होगी. राज्य में चुनाव कराने के लिए केंद्र की ओर से किसी तरह की कोई बाधा नहीं होगी. चुनाव के लिए आयोग को जितनी भी सुरक्षा चाहिए, हम उसे देने को तैयार हैं.
राजनाथ सिंह ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के बारे में केंद्र सरकार की स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी राज्य में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है. आयोग चाहे तो जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ ही चुनाव कराने का फैसला कर सकता है. केंद्र सरकार को इसमें कोई दिक्कत नहीं है. केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए सुरक्षा बल सहित अन्य जरूरी इंतजामों की पूर्ति के लिए तैयार है.
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराने के बारे में केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए गृह मंत्री से कहा, इस पर राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर चुनाव आयोग आम चुनाव के साथ ही राज्य में चुनाव कराने का फैसला करता है तो सरकार को इसमें कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को कश्मीर में चुनाव संपन्न कराने के लिए जितने भी सुरक्षा बलों की आवश्यकता होगी, हम उसे मुहैया कराने के लिए तैयार हैं.
आतंकी घटनाओं के बारे में उन्होंने कहा कि 1995 में जम्मू-कश्मीर में 5938 आतंकवादी घटनाएं हुई थी, लेकिन 2018 में यह संख्या घटकर 342 घटनाएं हुईं. हमारी कोशिश है कि कश्मीर को जिसे हिंदुस्तान का जन्नत माना जाता है, उसमें आतंकवाद की एक भी घटना न हो. समस्या के समाधान के लिए अलगाववादी गुटों से बातचीत नहीं करने के विपक्ष के आरोप को नकारते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हाल ही में वह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कश्मीर गए थे. सभी नेताओं ने हुर्रियत के नेताओं से मिलने की इच्छा जताई, लेकिन जब प्रतिनिधिमंडल के नेता हुर्रियत नेताओं से मिलने गए तो उन्होंने अपने दरवाजे बंद कर लिए.