सुप्रीम कोर्ट द्वारा वीआईपी गाड़ियों के लाल बत्ती कल्चर पर दिए गए नए आदेश और जम्मू कश्मीर सरकार के इस ओर फैसले के बाद मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. विपक्षी विधायकों की मांग रही कि लाल बत्ती कल्चर को पूरी तरह से खत्म किया जाए.
गौरतलब है कि सोमवार को प्रदेश में हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, हाई कोर्ट के जज, पूर्व राजयपाल, उप मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, विधानसभा और विधान परिषद के अध्य्क्ष व विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष के नेता लाल बत्ती लगा सकेंगे. साथ ही पुलिस निदेशक और मुख्य सचिव को भी इस दायरे में रखा गया, जबकि विधायकों को लाल बत्ती लगाने कि अनुमति नहीं दी गई.
बताया जाता है कि कैबिनेट के इस फैसले से विधायकों में नाराजगी है और वे लाल बत्ती कल्चर को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. मंगलवार को विधानसभा में विपक्षी विधायकों ने हंगामा करते हुए सवाल किया कि लाल बत्ती से उन्हें क्यों बाहर रखा गया है. विधायकों ने कहा कि यदि ऐसा है तो सभी को लाल बत्ती से अलग किया जाए.
जम्मू कैबिनेट का यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा लाल बत्ती को खास ओहदों तक ही सिमित किए जाने के फैसले के बाद आया है. फैसले से पहले सीएम उमर अब्दुल्ला ने अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी थी. इसके बाद राज्य के पुलिस निदेशक और अन्य पुलिस अफसरों ने भी अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी.
राज्य के गृह राजयमंत्री सज्जाद किचलू ने कहा कि वे निजी तौर पर लाल बत्ती के विरोध में हैं और वह विधायकों की बात से सहमत हैं. उन्होंने कहा कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे और देखेंगे की कैबिनेट के फैसले पर क्या हो सकता है.