जम्मू कश्मीर सरकार ने शनिवार रात खतरनाक कश्मीरी अलगाववादी नेता मशरत आलम को रिहा कर दिया जिसके खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित दर्जनों मामले दर्ज हैं और उसकी गिरफ्तारी को लेकर 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा की गई थी.
आतंकी रिहाई मामला: मुफ्ती के विरोध में BJP
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 2008 एवं 2010 में घाटी में पथराव आंदोलन की अगुवाई करने वाले 44 वर्षीय मशरत आलम को बारामुला जिला जेल से बाहर निकाला गया. उसे वहां से शहीदगंज पुलिस थाने ले जाया गया जहां उसे उसके परिजनों को सौंप दिया गया.
मशरत आलम की रिहाई पर भाजपा ने आंखें तरेरते हुए कहा है कि इससे सत्ताधारी गठबंधन को ‘खतरा’ पैदा हो सकता है. वहीं, सुरक्षा बलों ने भी इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे जम्मू-कश्मीर की शांति खतरे में पड़ सकती है.
आलम को एक समय कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी का करीबी समझा जाता था. वर्ष 2010 में जब वह हड़ताल और पथराव आंदोलन की रूपरेखा तय कर रहा था उसी समय उस पर नकद इनाम घोषित किया गया था. पुलिस ने जब राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए उसकी तलाश शुरू कर दी तो वह भूमिगत हो गया. आलम को अक्तूबर 2010 में शहर के बाहरी क्षेत्र हरवान इलाके से पकड़ा गया. पुलिस एवं केन्द्रीय एजेंसियों ने उसे पकड़ने के लिए एक अभियान चलाया था.
उसे मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के आदेश के बाद रिहा किया गया. सईद ने एक मार्च को राज्य में सत्ता की बागड़ोर संभालने के बाद सभी राजनीतिक बंदियों को जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था.
जब इस बात की ओर ध्यान दिलाया गया कि मशरत आलम जैसे कुछ ही लोग हैं जिन्हें शुरू में राजनीतिक कैदी के रूप में कैद किया गया पर बाद में अन्य मामलों में कथित संलिप्तता के बाद उस पर धारा 121 (देश के विरुद्ध युद्ध झेड़ना) लगा दी गई तो मुख्यमंत्री ने उसकी रिहाई के आदेश जारी किए.
आलम की मुस्लिम लीग गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का हिस्सा है. उसे उस राष्ट्र विरोधी प्रदर्शनों को हवा देने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था जिसमें 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों अन्य घायल हो गए थे.
इनपुट- भाषा