कश्मीर में बढ़ती टारगेट किलिंग के विरोध में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने माता खीर भवानी मेले का बहिष्कार कर दिया है. कश्मीर में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने में नाकाम होने के विरोध में यह बहिष्कार किया जा रहा है. यह महोत्सव 8 जून को मनाया जाएगा. इस महोत्सव में देशभर से हजारों विस्थापित कश्मीरी पंडित एकजुट होते हैं.
हाल ही में सरकारी कर्मचारी कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद अपनी सुरक्षा लेकर कई हफ्तों से प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारी इस बार महोत्सव का बहिष्कार कर रहे हैं. वहीं ऐहतियात बरतते हुए मंदिर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम कर दिए गए हैं.
ट्रस्ट ने जारी किया था लेटर
कुछ दिन पहले माता खीर भवानी ट्रस्ट ने एक चिट्ठी जारी कर अपील की थी कि सभी कश्मीरी पंडित इस समय एकजुट रहें और टारगेट किलिंग का विरोध करें. उनसे कहा गया कि वे हर साल आयोजित होने वाले खीर भवानी मेले में ना जाएं. घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी इस साल मेले के बहिष्कार की अपील हुई है.
श्रीनगर से 27 किमी दूर है मंदिर
श्रीनगर से करीब 27 किलोमीटर गांदरबल के तुममुला में माता खीर भवानी मंदिर स्थित है. यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. वसंत ऋतु में पारंपरिक रूप से इन्हें खीर चढ़ाई जाती थी, इसलिए इनका नाम खीर भवानी पड़ गया.
8 जून 2021 से शुरू हुई थी टारगेट किलिंग
कश्मीर में पिछले साल 8 जून को सरपंच अजय पंडित की हत्या से टारगेट किलिंग का सिलसिला शुरू हुआ था. इसके बाद 5 अक्टूबर को श्रीनगर के केमिस्ट एमएल बिंद्रू की हत्या कर दहशत फैला दी गई.
दो दिन के बाद ही यानी 7 अक्टूबर को आतंकियों ने एक स्कूल की प्रिंसिपल सतिंदर कौर और टीचर दीपक चंद की हत्या कर दी.
मई में टारगेट किलिंग की 8 घटनाएं सामने आईं. रजनी बाला की हत्या से पहले 12 मई को आतंकियों ने बड़गाम में दफ्तर में घुसकर राजस्व अधिकारी राहुल भट्ट की हत्या कर दी थी. जाहिर है इससे सरकारी कर्मचारी डरे-सहमे हुए हैं.