संसद के दोनों सदनों से जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल पारित होने के बाद अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. साथ ही अनुच्छेद 370 के तहत मिलने वाले विशेषाधिकार भी खत्म हो गया है. राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने और विकास न होने का सबसे बड़ा कारण अनुच्छेद 370 है. अनुच्छेद 370 हट जाने के बाद जम्मू के लोगों में विकास की उम्मीद जगी है. हालांकि कुछ अभी भी असमंजस की स्थिति में हैं.
अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार हटने पर आरएस पुरा सेक्टर, जम्मू स्थित गांवों के लोगों ने खुशी जाहिर की. लोगों को उम्मीद है कि क्षेत्र में अब तरक्की और रोजगार के रास्ते खुलेंगे. Aajtak ने आरएस पूरा सेक्टर के कुछ युवाओं से बातचीत की. कई नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले से खुश हैं तो कुछ असमंजस में हैं.
अंकुश भगत नाम के एक युवा ने कहा, "जम्मू के साथ सौतेला वयवहार हो रहा था. शहर का एकमात्र फ्लाईओवर 70 साल बाद बना. राज्य की जयादातर नौकरियों में बंदरबांट होती थी जिसका बड़ा हिस्सा कश्मीर के लोगों को दे दिया जाता था. जम्मू और लद्दाख के लोग भीख मांगने के लिए मजबूर थे. अब उम्मीद है की उग्रवाद पर लगाम लगेगी और राज्य में निवेश होगा और लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन डर है की बाहरी राज्यों के लोगों का घाटी में दखल बढ़ने से अपराध भी बढ़ेगा."
गांव के दूसरे युवा कनव पिखन ने कहा कि अनुच्छेद 370 की आड़ में पनप रहा उग्रवाद अब खत्म होगा और घाटी के निचले इलाकों में आधारभूत ढांचा मजबूत होगा. एक अन्य युवा विकास कुमार ने बताया की उग्रवाद और पकिस्तान द्वारा तोड़ी गई युद्ध विराम की घटनाओं और हड़तालों के कारण घाटी में स्कूल कॉलेजों की पढ़ाई बाधित होती थी जो अब नहीं होगी. वहीं सुचेतगढ़ और गुलाबगढ़ के लोगों ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने का स्वागत किया. लोगों को उम्मीद है कि अब सीमा पर बसे गांवों में विकास का नया सूरज उगेगा.