जम्मू-कश्मीर में आए दिन होते प्रदर्शन और अलगाववादियों की बढ़ती ताकत के पीछे हमेशा से ही पाकिस्तान का हाथ बताया जाता है. यह साफ है कि पाकिस्तान में बैठे आका ही यहां पर पत्थरबाजों को हवा देते हैं, और भारत के खिलाफ भड़काते हैं. लेकिन आखिर पाकिस्तान इनके पास तक अपनी मदद कैसे पहुंचाता है. कैसे हमारा पड़ोसी इनके पास तक पैसा पहुंचाता है. पढ़िये इस पूरी रिपोर्ट में...
हमारे सहयोगी मेल टुडे की रिपोर्ट के अनुसार के इसमें पाकिस्तान बॉर्डर पर व्यापार करने वाले कारोबारी, हवाला कारोबारी से लेकर कई लोगों का नेटवर्क शामिल है. इसमें अमृतसर, श्रीनगर और पुरानी दिल्ली से व्यापारी भी शामिल हैं, इनसे एनआईए पूछताछ भी कर चुकी है. ये लोग बॉर्डर ट्रेड के जरिए पत्थरबाजों को मदद पहुंचाते हैं और उनका हौसला बढ़ाते हैं.
केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट में NIA ने बताया कि 2010-11 से लेकर 2015-16 के बीच क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड से लगभग इन्होंने 500 करोड़ रुपये का फंड इक्कट्ठा किया है. व्हिसल ब्लॉवर अपरेश गर्ग के अनुसार, ये आंकड़ा लगभग 800 करोड़ रुपये सालाना भी हो सकता है. 2009-10 में जब PoK की ओर से भारत के बाजार में लगातार सामान आता था, तो उन्होंने उस समय भी इस बात का अंदेशा जताया था. लेकिन तब इस पर ध्यान नहीं दिया गया था.
अलगाववादियों को मिलती है मदद
मेल टुडे की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक सीनियर पुलिस वाले के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से आने वाला सामान निर्धारित होता है, इसकी मात्रा भी निर्धारित है जिसे वह भारत के खुले बाजार में बेच सकते हैं. लेकिन वहां से अगर 9 टन सामान आता है तो रिकॉर्ड में 8 टन ही दर्ज होता है. बाकी का 1 टन सामान अलगाववादियों के पास पहुंच जाता है.
नहीं तौला जाता सामान
बॉर्डर पार से आने वाले सामान का दाम हमेशा कम बताया जाता है, जिससे उसपर शक ना हो सके. लेकिन हमें लगता है कि ऐसा करने में पाकिस्तानी एजेंसियां भी उनकी मदद करती हैं. उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान से आने वाले ट्रकों को तौला नहीं जाता है जिससे उनके लिए कितना भी सामान भेजना आसान हो जाता है.
दो रुटों से आता है सामान
इसके अलावा दोनों तरफ ही सामान को स्कैन करने के लिए कोई सिस्टम भी मौजूद नहीं है. जिससे यह पता लगाना असंभव है कि आखिर ट्रक में क्या सामान आ रहा है. इन सामानों को लाने के लिए दो रुटों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता है उरी-मुज्जफराबाद और पुंछ-रावलकोट. ये दोनों रुटों अक्टूबर 2008 में खोला गया था, ऐसा लगभग 61 साल के बाद हुआ था. यहां से आने वाले सामानों में लगभग 21 सामानों को शामिल किया गया था, जैसे कि कार्पेट, हैंडलूम, फल आदि.
नहीं है कोई चेक प्वाइंट
इस रुट में कोई चेक प्वाइंट भी नहीं है, क्योंकि चेक प्वाइंट केवल LoC पर ही हो सकता है लेकिन PoK पर पाक अपना कब्जा जताता है इसलिए यहां चेक प्वाइंट नहीं हो सकता है. सूत्रों की मानें, तो खुफिया एंजेसियों ने इस व्यापार को रोकने की सलाह दी है. लेकिन अगर हम सामान पर कोई पाबंदी लगाते हैं तो इसका मतलब होगा कि हम PoK को पाकिस्तान का ही हिस्सा मानते हैं. यही कारण है कि इसे बंद करना नामुमकिन ही है. लेकिन NIA लगातार संदिग्ध व्यापारियों से पूछताछ कर रही है.