आखिरकार भारतीय सेना ने 11 महीने बाद अपने जांबाज अधिकारी उमर फयाज की हत्या का बदला ले लिया है. रविवार को सेना ने जम्मू-कश्मीर में 12 आतंकियों को मार गिराया. शोपियां में मारे गए आतंकवादियों में इशफाक मलिक और रईस ठोकर नाम के आतंकवादी भी शामिल हैं, जो उमर फयाज की हत्या में शामिल रहे हैं. मालूम हो कि पिछले साल मई में आतंकवादियों ने 22 वर्षीय लेफ्टिनेंट फयाज की घर से खींचकर कायरतापूर्ण तरीके से हत्या कर दी थी.
लेफ्टिनेंट उमर फयाज अपने परिवार के इकलौते बेटे थे. पिता किसानी करते हैं और ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं है. उनका परिवार भी आतंकग्रस्त कुलगाम से आता है, लेकिन जब उमर फयाज ने कहा कि वो सेना के अफसर बनना चाहते हैं, तो उन्होंने रोका नहीं. नवोदय विद्यालय से 12वीं पास करने के बाद उमर फयाज ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा पास की. एनडीए और आईएमए की ट्रेनिंग के बाद दिसंबर 2016 में उमर फयाज को जम्मू के अखनूर में पोस्टिंग मिली.
पोस्टिंग के बाद पहली बार घर लौटे थे फयाज
फयाज चार महीने की पोस्टिंग के बाद पहली बार घर लौटे थे और 20 दिन बाद वापस अपनी यूनिट में जाने वाले थे. इस बीच उनके मामा की बेटी की शादी शोपियां में थी, जिसमें शामिल होने के लिए वो शोपियां आए, तभी शोपियां के घर में दोपहर को तीन आतंकी अचानक घुसे और उन्हें अगवा करके ले गए. अगली सुबह लेफ्टिनेंट फयाज का शव पास के एक गांव में पाया गया. आतंकियों ने उनके सिर, सीने और पेट में गोली मारी थी.
सेना प्रमुख ने की थी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की तारीफ
सिर्फ 22 साल के लेफ्टिनेंट उमर फयाज की पिछले साल मई में शोपियां में बड़ी कायरता से आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. देश के इस बेटे को चार महीने ही हुए थे, जब उसने अपनी राजपूताना राइफल्स ज्वाइन की थी. खुद सेना प्रमुख ने कश्मीर के बहादुर बेटे उमर फयाज की तारीफ की थी और ये भी इशारा किया था कि उमर फयाज के कातिल आतंकी बच नहीं पाएंगे.
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि फयाज के कातिलों के खिलाफ सेना ऑपरेशन भी चलाएगी. उमर बहादुर नौजवान था. हमारी फौज में जो भी भर्ती होना चाहता है, वो देश प्रेम, मेहनत व लगन के साथ भर्ती होता है और इसी भावना के साथ लेफ्टिनेंट उमर फयाज सेना में भर्ती हुए थे.
फयाज की हत्या से देशभर में था आक्रोश
उन्होंने कहा था कि कश्मीर के एक मामूली परिवार के इस बेटे की लगन, मेहनत, देश प्रेम और बहादुरी का पूरा देश और पूरी सेना कायल थे. देश अपने बहादुर बेटे की हत्या से आक्रोश में था. हालांकि 11 महीने बाद ही सही, वो दिन आ गया, जब उमर फयाज के कातिलों से हिसाब पूरा किया गया. शोपियां में जो आतंकवादी मारे गए, उनमें इशफाक मलिक और रईस ठोकर नाम के आतंकवादियों की भी पहचान हुई है, जो उमर फयाज की हत्या में शामिल रहे हैं.
तीन महीने में 52 आतंकी ढेर
साल 2018 के अब तक के तीन महीने में सेना को 52 आतंकवादियों को ढेर करने में कामयाबी मिली है. साल 2017 में सेना ने 218 आतंकवादियों को मार गिराया था, लेकिन आतंक मुक्त कश्मीर का अभियान इतना आसान नहीं है. इसके लिए हमारे जवान आए दिन कुर्बानी दे रहे हैं. साल 2018 में अब तक आतंकियों से लड़ते हुए सेना और सुरक्षाबलों के 23 जवान शहीद हुए. साल 2017 में आतंकियों से लड़ते हुए सेना और सुरक्षाबलों के 83 जवान शहीद हुए.