जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को लेकर जहां सरकार, सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसी चौकन्ना है, वहीं ताजा रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 60 फिदायीन हमलावर सीमा पर कर घाटी में अपना डेरा जमा चुके हैं. बताया जाता है कि इन फिदायीन हमलावरों को खास तौर से सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और जम्मू-कश्मीर पुलिस को ही टारगेट बनाने का हुक्म दिया गया है.
अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की खबर के मुताबिक, इस बात के सुराग तब हाथ लगे जब एजेंसियों ने लश्कर-ए-तैयबा के डिविजनल कमांडर अबू दुजाना की तलाश शुरू की. दुजाना ने ही बीते शनिवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हमला करवाया, जिसमें हमारे 8 जवान शहीद हो गए. पिछले साल उधमपुर में बीएसएफ कर्मियों पर हमले के तार भी दुजाना से ही जुड़े हैं.
घाटी में मौजूद अबू दुजाना कर रहा है मदद
अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि दुजाना घाटी में है और पाकिस्तान से आए ट्रेंड आतंकवादियों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जनाकरी जुटाने, हथियार मुहैया करवाने और उनके ठहरने व उन्हें हमले की जगह तक पहुंचाने में मदद कर रहा है.
पंपोर हमले में हाथ आए अहम सुराग
अधिकारियों का कहना कि 25 जून को हुए हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के स्पष्ट सबूत मिले हैं. ऐसे में मामले की एनआईए जांच पर विचार किया जा रहा है. फिलहाल, मामले की जांच कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके पास इस मामले में अहम सुराग हाथ लगे हैं. सीआरपीएफ के महानिदेशक के दुर्गा प्रसाद ने कहा, 'हमारे कुछ जवान बुलेटप्रुफ जैकेट पहनते हैं जबकि कुछ नहीं पहनते. सिर्फ बुलेटप्रुफ जैकेट पहनने से समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा. हमें और भी कुछ करना होगा और हम इस पर काम कर रहे हैं.'
दुर्गा प्रसाद बुधवार को जम्मू-कश्मीर के आला अफसरों के साथ मीटिंग कर सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा कर सकते हैं. उन्होंने सोमवार को कहा था कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से सुरक्षा बल घाटी में गाड़ियों की जांच बढ़ाएंगे ताकि रूप बदलकर यात्रा कर रहे आतंकवादियों को पकड़ा जा सके.