उरी हमले को लेकर एनआईए की जांच शुरू हो गई है. शुरुआती छानबीन से जो सुराग हाथ आए हैं, वो उरी के सेना मुख्यालय पर हमले के तार पठानकोट हमले से जोड़ते हैं. जांच में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सीनियर ऑपरेटिव काशिफ जान का नाम सामने आया है. एनआईए सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एजेंसी उरी हमले को लेकर नौगाम में गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी बहादुर अली से पूछताछ करेगी. उसे मारे गए आतंकियों की तस्वीर भी दिखाई जाएगी.
एनआईए का कहना है कि उरी हमले के बाद जो सामान बरामद हुए हैं, वह बहादुर अली के पास से बरामद सामान से मिलते-जुलते हैं. ऐसे में उससे पूछताछ जरूरी है. यही नहीं, उरी में ढेर आतंकियों की तस्वीर भी अली को दिखाई जाएगी, ताकि वह किसी को पहचान सके.
एनआईए को शक है कि जैश के आतंकी राउफ अजगर के साथ काशिफ जान ने उरी के आतंकियों को बॉर्डर तक पहुंचाया. पठानकोट की तर्ज पर जान और अजगर लगातार उरी में हमला करने वाले आतंकियों के संपर्क में थे. गौरतलब है कि पठानकोट हमले में काशिफ जान ने ही 16 बार आतंकियों से बात की थी. पड़ताल में काशिफ जान की लोकेशन अकिस्तान के नारोवाल में पाई गई.
कहीं कोई अंदर का भेदिया तो नहीं
सूत्रों के मुताबिक, उरी में आतंकियों को सैन्य टुकड़ी के आवाजाही की भी पूरी जानकारी थी. आतंकियों के पास बरामद सामान से पता चला है कि आतंकी एक-दो दिन से सैन्य ठिकाने के आसपास सेंध लगा कर बैठे थे. यही नहीं, उनके पास सेना मुख्यालय में कमांडर के दफ्तर से लेकर घर तक का लोकेशन था. ऐसे में आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि कोई अंदर का आदमी भेदिए का काम रहा था.
डीएनए सैंपल से आतंकियों के रिश्तेदारों की खोज
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरने की बात कही है. यही वजह है कि एनआईए पुख्ता सबूत जुटाने में लगी हुई है. इसके लिए आईबी और रॉ से भी मदद ली जा रही है. दोनों खुफिया एजेंसी से पिछले दो महीनों के कॉल इंटरसेप्ट की जानकारी ली जाएगी. इसके अलावा आतंकियों के डीएनए सैंपल भी लिए जाएंगे, जिसके जरिएअतंकिओं के पाकिस्तान से जुड़े तार का सबूत मिल सके. ये सैंपल आतंकियों के रिश्तेदारों से मैच करने के लिए भी भारत पाकिस्तान पर जोर दे सकता है.
हालांकि पठानकोट हमला मामले में कई बार आतंकियों के रिश्तेदार के सैंपल पाकिस्तान भेजे जाने की सिफारिश की जा चुकी है, लेकिन बात अभी तक अटकी है.
एनआईए यह जानती है कि उसके पास समय बहुत कम है और काम बहुत ज्यादा. ऐसे में वह तमाम जांच एजेंसियों से तालमेल बिठाकर उरी हमले में आगे बढ़ना चाहती है. केंद्र सरकार को लगता है कि डीएनए सैंपल की पुष्टी और बाकी ठोस सबूत के जरिये वो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान के बहिष्कार की मांग रख सकता है.