जम्मू-कश्मीर में भयंकर बाढ़ के बाद अब राहत और पुनर्वास की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं. इस बीच राज्य सरकार ने शुक्रवार को 200 करोड़ रुपये के सहायता पैकेज का ऐलान किया.
बेघर हुए लोगों को घर बनाने के लिए 75,000 रुपये की पहली किश्त और मृतकों के परिजनों के लिए 3.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की गई.
ताजा खबरों के अनुसार, राज्य में 109 साल में आई सबसे भयावह बाढ़ से अब तक सवा लाख से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राहत पैकेज जारी किया, जिसके तहत राज्य में छह महीने तक मुफ्त राशन भी दिया जाएगा.
इस आपदा से हिल चुकी राज्य सरकार ने बाढ़ से निपटने को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच कुछ ठासे कदम उठाये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में केंद्र से बचाव, राहत और पुनर्वास अभियानों को तेज करने के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी सोमवार को देने को कहा.
शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जिस तरह की आपदा और त्रासदी देखने को मिली है, उसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों की जरूरत है. श्रीनगर और घाटी के अन्य शहरों में बाढ़ का पानी कम होने के साथ प्रशासनिक और सैन्य बचावकर्मियों ने उन हजारों लोगों तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए हैं जो दो सितंबर को शुरू हुई तेज बारिश के बाद से फंसे हुए हैं.
हवाई अड्डे पर संवाददाता सम्मेलन में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अभी मृतकों की सही संख्या नहीं बताई जा सकती क्योंकि हालात पूरी तरह अस्थिर हैं. हालांकि आपदा का प्रकोप कम होने के साथ कल अधिकारियों ने मृतक संख्या 250 के आसपास बताई थी. उमर ने बताया कि उन्होंने हालात पर चर्चा करने के लिए शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. उन्होंने कहा, ‘हम अन्य दलों से राज्य में राहत और बचाव अभियानों में सुधार लाने के लिए सुझाव मांगेंगे. जनता तक राहत पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती है.’
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के आपदा राहत कोष से घोषित 200 करोड़ रुपये की सहायता में से जम्मू और कश्मीर दोनों इलाकों को 100-100 करोड़ रुपये दिये जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि इनका प्रभावित लोगों के बीच नकद के रूप में भुगतान किया जाए जैसा कि 2005 में उरी भूकंप और लद्दाख बादल फटने की घटना के समय हुआ था.’
उमर ने कहा कि मृतकों के परिजनों को दी जाने वाली 3.5 लाख रुपये की अनुग्रह राशि में प्रधानमंत्री द्वारा पहले ही घोषित 2 लाख रुपये की सहायता शामिल है. उन्होंने बताया कि घाटी में 137 राहत शिविर लगाये गये हैं, जहां एक लाख से अधिक लोगों की देखभाल की जा रही है.
जम्मू में एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ‘सशस्त्र बलों और एनडीआरएफ ने बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में जारी बचाव और राहत अभियानों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अब तक सवा लाख से अधिक लोगों को बचाया है.’
राज्य सरकार की ओर से उठाये गए कदमों की घोषणा करते हुए उमर ने कहा कि वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राठर के नेतृत्व में छह वरिष्ठ मंत्रियों के दल को राज्य में प्राकृतिक आपदा की स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराने के लिए भेजा गया है.
इस बीच सेना ने आज रामबन जिले में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर फंसे 13000 लोगों को बचाया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय स्वाद के अनुसार नौ टन रेडी-टू-ईट भोजन भेजा है. संगठन ने श्रीनगर में सीआरपीएफ और गृह मंत्रालय के बीच एक सेटेलाइट संचार नेटवर्क के माध्यम से संपर्क स्थापित किया. DRDO की विज्ञप्ति के अनुसार खाने में लंबे समय तक चलने वाली चपातियां, पुलाव, अनेक तरह के चावल, दाल फ्राई, खिचड़ी और सूजी का हलवा शामिल है.
DRDO प्रमुख अविनाश चंद्र ने कहा कि एजेंसी द्वारा विकसित तकनीकों को देश में जरूरत की घड़ी में जनता के लिए हमेशा उपलब्ध कराया जाता रहेगा. इस बीच राज्य में विपक्षी पीडीपी ने राज्य और केंद्र सरकारों से बाढ़ में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए टीम नियुक्त करने की मांग करते हुए कहा कि पुंछ और राजौरी जिलों के सुदूर और दुर्गम इलाकों में जरूरी सामग्री भेजी जाए. पार्टी महासचिव यशपाल शर्मा ने अधिकारियों से पुंछ जिले में बिजली और सड़क संपर्क बहाल करने को कहा. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि अधिकारी मौजूदा परिदृश्य में असहाय नजर आ रहे हैं. आम आदमी पार्टी के दिल्ली के विधायकों ने जम्मू-कश्मीर में राहत और बचाव अभियानों में 20-20 लाख रुपये की सहायता देने का फैसला किया है.
AAP के एक नेता ने बताया, ‘2012 में विधायकों के लिए दिशानिर्देश जारी किये गये थे और अनुमति दी गयी थी कि प्रत्येक सदस्य हर साल प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में अपनी विधायक क्षेत्रीय विकास निधि से 35 लाख रुपये तक की राशि देने का अनुरोध कर सकते हैं.’