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J-K: BSF जवान की हत्या के पीछे लश्कर के महमूद गुट का हाथ

जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में छुट्टी पर घर आए बीएसएफ जवान मोहम्मद रमजान पारे की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. इस हत्या के पीछे लश्कर-ए-तैयब्बा के महमूद भाई गुट का हाथ सामने आ रहा है.

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शहीद बीएसएफ जवान रमीज अहमद पारे
शहीद बीएसएफ जवान रमीज अहमद पारे

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जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में छुट्टी पर घर आए बीएसएफ जवान मोहम्मद रमजान पारे की हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. इस हत्या के पीछे लश्कर-ए-तैयब्बा के महमूद भाई गुट का हाथ सामने आ रहा है. रात में मोहम्मद रमजान पारे के घर में घुसकर आतंकियों ने हत्या कर दी जबकि परिवार के चार लोग घायल हैं. उनके पिता की हालत गंभीर है. इससे पहले लेफ्टिनेंट फयाज की हत्या भी आतंकियों ने कर दी थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस मामले की जांच कर रही है और साजिश के पीछे शामिल आतंकियों की तलाश जारी है.

इस हमले में शामिल आतंकी की एक तस्वीर सामने आई है. इसका नाम अबु मुस्लिम उर्फ छोटू बताया जा रहा है. ये लश्कर के महमूद भाई गुट का बताया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी एस पी वैद्य ने कहा- जो लोग आतंकियों के बारे में बात कर रहे हैं वे उनकी आवाद खामोश करना चाहते हैं. हम उन्हें सजा दिलाएंगे. लश्कर का इस हमले के पीछे हाथ हो सकता है.

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बताया जा रहा है कि लश्कर के कुछ आतंकवादी रमजान पारे के घर पहुंचे और उन्हें बाहर आने को कहा. जब रमजान के परिजनों ने विरोध किया और उन्हें बाहर नहीं आने दिया तो आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी. जिसमें बीएसएफ जवान रमजान पारे की मौत हो गई जबकि उनके परिवार के चार लोग घायल हो गए. जानकारी के मुताबिक रमजान 26 अगस्त 2017 से लगातार 37 दिनों की छुट्टी पर थे. घायलों में अहमद पारे, जावेद अहमद पारे, अफजल पारे और हबला बेगम शामिल हैं.

बांदीपोरा के पीसीआर के मुताबिक रात करीब 10 बजकर 05 मिनट पर कुछ अज्ञात हथियारबंद पारे मोहल्ला हाजिन में मोहम्मद रमजान पारे (73वीं बटालियन, बीएसएफ) के घर में घुसे और उनके साथ ही साथ उनके परिवार पर अंधाधुंध गोलियां दागनी शुरू कर दीं. गोलीबारी में घायल रमजान पारे की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 4 परिजन घायल हो गए. घायलों को इलाज के लिए श्रीनगर हॉस्पिटल ले जाया गया. बीएसएफ ने पिछले कुछ महीनों में दो एडवाइजरी जारी कर घाटी के जवानों को घर जाने पर सावधानी बरतने को कहा था. पहली एडवाइजरी एक बीएसएफ अधिकारी को धमकी मिलने के बाद जारी की गई थी. दूसरी एडवाइजरी लेफ्टि‍नेंट उमर फयाज की हत्या के बाद जारी हुई थी.

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