लद्दाख से अलग होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश से राज्य बनाए जाने की प्रक्रिया में जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) विधान सभा को सात और सीटें मिलने के आसार बन रहे हैं. इससे राज्य की प्रस्तावित विधानसभा में पहले की 83 सीटों के मुकाबले 90 सीटें हो सकती हैं.
अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीट थीं. इसमें जम्मू इलाके से 37 सीटें, कश्मीर से 46 सीटें और लद्दाख से 04 उम्मीदवार आते थे. जब 5 अगस्त 2019 में लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया तब जम्मू-कश्मीर विधानसभा की कुल संख्या घटकर 83 हो गई.
24 जून को पीएम मोदी की अहम बैठक
जम्मू कश्मीर को नए सीमांकन के साथ राज्य का दर्जा देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य की सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां के नेताओं के साथ 24 जून को बैठक करने जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर डिलिमिटेशन कमीशन और प्रक्रिया से भी खबरें सूत्रों से लगातार मिल रही हैं.
83 से बढ़कर 90 हो सकती विधानसभा सीटें
नए जम्मू कश्मीर के नक्शे में सात और विधानसभा क्षेत्र जुड़ने के बाद विधान सभा सदन में कुल संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. कमीशन के सूत्रों के मुताबिक चार हलके घाटी में और तीन जम्मू में बढ़ाए जाने हैं. इस बाबत जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के सभी 20 उपायुक्तों को सूचना देकर आबादी, मतदाताओं की संख्या, स्त्री पुरुष अनुपात जैसे कई तरह के आंकड़े और जिले और प्रस्तावित विधान सभा क्षेत्र की सीमा सहित अन्य भौगोलिक व सामाजिक ढांचे की जानकारियां तलब की गई हैं.
जम्मू-कश्मीर में विधान सभा क्षेत्रों के नए सिरे से सीमांकन यानी डिलिमिटेशन की प्रक्रिया जारी है. इस सिलसिले में 2011 की जनगणना को आधार बनाकर काम आगे बढ़ाया जा रहा है. निर्वाचन आयोग और सीमांकन आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक 2011 की जनगणना में इस क्षेत्र में घाटी की आबादी 68 लाख 88 हजार 475 और जम्मू क्षेत्र की 53 लाख 78 हजार 538 थी. इस आबादी के तहत जम्मू संभाग में विधान सभा की 36 और घाटी में 47 सीटें थीं. लेकिन उस वक्त आबादी और विधान सभा हलके का निर्धारण मनमाने अनुपात में था.
कश्मीर घाटी में कुछ हजार आबादी के लिए एक विधायक होता था तो जम्मू संभाग के कई क्षेत्रों में एक एक विधान सभा सीट में लाख के करीब वोटर थे. करीब दो साल से जम्मू कश्मीर विधान सभा के क्षेत्र निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है. इस साल के अंत तक इसके पूरा होने के आसार हैं.
राजनीतिक तौर पर भी चल रही सरगर्मियां और प्रशासनिक तौर पर आ रही खबरें भी यही इशारा करती हैं कि 2022 में जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाकर जनता की चुनी हुई सरकार बहाल हो जाएगी.