जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार निलंबित डीएसपी देवेंद्र सिंह मामले की चार्जशीट NIA कोर्ट में दाखिल हो गई है. इसमें देवेंद्र सिंह सहित 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. चार्जशीट में पुलिस की ओर से बड़े-बड़े खुलासे किए गए हैं. इसमें कहा गया कि देवेंद्र सिंह पाकिस्तानी हाई कमीशन के कई अधिकारियों के संपर्क में था. इसके साथ ही देवेंद्र सिंह पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारियों से बातचीत और मिलने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता था.
एनआईए की जांच में यह सामने आया है कि पाकिस्तानी हाई कमीशन के अधिकारियों ने देवेंद्र सिंह को भारत की संवेदनशील जानकारियां हासिल करने के लिए तैयार किया था और फंडिंग भी की थी. NIA की चार्जशीट में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के रोल के बारे में भी जानकारी दी गई है. पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की जांच में यह खुलासा हुआ है कि एक आरोपी इरफान सफी मीर न केवल हिज्बुल मुजाहिदीन के पाकिस्तानी आकाओं से मिला बल्कि उमर सीमा, एहसान चौधरी, सोहेल अब्बास और ISI के दूसरे अफसरों से भी उसकी मुलाकात हुई.
चार्जशीट के मुताबिक, ISI ने इरफान सफी को यह काम सौंपा था कि वह हवाला के पैसे को ट्रांसफर करने के नए नए रूटों को तलाशे ताकि आतंकी गतिविधियों को कश्मीर में जारी रखा जा सके. NIA की इसी जांच में सामने आया है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन लगातार इरफान सैफी के संपर्क में था और हाई कमीशन से जम्मू कश्मीर में सेमिनार आयोजित करने और कश्मीर की भीड़ को हिंदुस्तानी सरकार के खिलाफ उकसाने के लिए तैयार कर रहा था, इसके लिए पैसा मिल रहा था.
इस पूरे मामले में NIA की जांच में यह सामने आया है कि इन सभी छह अभियुक्तों ने किस तरीके से हिज्बुल मुजाहिदीन के लिए आतंकी नेटवर्क को बड़ा करने, फंड को ट्रांसफर करने और उनको हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक सप्लाई करने के लिए तैयार किया गया था. NIA की इस चार्जशीट में यह भी जानकारी दी गई है कि इरफान सफी मीर दिल्ली के पाकिस्तानी हाई कमीशन के अफसरों से लगातार निर्देश हासिल करता था. इसके अलावा वह कश्मीरी युवाओं को पाकिस्तान जाने के लिए वीजा एप्लीकेशन को भी हाई कमीशन से पास करवाता था.