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राष्ट्रपति शासन की ओर तो नहीं बढ़ रहा जम्मू-कश्मीर?

जम्मू-कश्मीर में अगर सीएम पद को लेकर गतिरोध यूं ही जारी रहा तो राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा

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जम्मू-कश्मीर में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. बीजेपी नेता पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गठबंधन कर जम्मू-कश्मीर में हिंदू सीएम का सपना पूरा करने के लिए प्रयास जरूर कर रहे हैं, लेकिन ये दोनों ही पार्टियां बीजेपी की शर्त पर बहुत लचीला रुख अपनाती नहीं दिख रही हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है?

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28 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पीडीपी ने तो बीजेपी को दोटूक कह दिया है कि सीएम उसकी पार्टी का होगा. ऐसे में 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी की सारी उम्मीदें एनसी पर टिकी हैं, लेकिन उमर अब्दुल्ला पार्टी में बीजेपी को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं. पार्टी नेता देवेंद्र सिंह राणा ने तो पीडीपी को समर्थन का ऐलान तक कर दिया है. देखने वाली बात यह है कि क्या देवेंद्र पार्टी लाइन से अलग जाकर पीडीपी को समर्थन की बात कह रहे हैं, या फिर उमर अब्दुल्ला भी उनकी बात से इत्तेफाक रखते हैं? बहरहाल, पीडीपी को समर्थन पर भी तक एनसी की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है.

दूसरी ओर जानकार यह भी कह रहे हैं कि अगर सीएम पद को लेकर गतिरोध यूं ही जारी रहा तो राज्यपाल के पास राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा. अभी तक के हालात की बात को देखें तो कोई भी राजनीतिक दल सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त नहीं दिख रहा है.

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'मिशन 44+' के साथ चुनाव में उतरी भाजपा भले ही 25 सीटों पर सिमट गई हो, मगर सत्ता पाने की सबसे ज्यादा ललक यही पार्टी दिखा रही है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रवक्ता और अब भाजपा के महासचिव राम माधव कश्मीर में डेरा डाले हुए हैं. अब सवाल यह उठता है कि सरकार बनाने के लिए कौन सी दो पार्टियां गलबहियां डालेंगी. शुरुआत में लगा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी समझौते पर पहुंच चुकी है, लेकिन उमर की पार्टी के कई विधायक बीजेपी के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं. सबसे ज्यादा विरोध हिंदू सीएम को लेकर हो रहा है.

अब पीडीपी की बात करते हैं. गुरुवार को भाजपा महासचिव राम माधव के श्रीनगर पहुंचने के बाद वरिष्ठ पीडीपी नेता तथा सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने उनके साथ दो दौर की बातचीत की. पीडीपी प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि वह राम माधव से निजी तौर पर मिले थे, लेकिन बात नहीं बनी तो उन्होंने कह दिया कि बैठक का सियासी मतलब न निकाला जाए. दूसरा सवाल यह है कि क्या बीजेपी को सत्ता से अलग रखने के लिए पीडीपी, एनसी और कांग्रेस हाथ मिलाएंगे? इन सवालों के जवाब तभी मिलेंगे जब जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने की कोई पहल करेगा, लेकिन मौजूदा हालात तो राष्ट्रपति शासन की ओर ही इशारा कर रहे हैं.

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क्या हैं विधानसभा के समीकरण?

* जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल सीटें 87
* सरकार बनाने के लिए 44 का जादुई आंकड़ा चाहिए
* पीडीपी सबसे बड़ा दल है, जिसके पास 28 सीटें हैं
* 25 सीटें जीतकर बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी
* कांग्रेस को इस बार 12 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 सीटें

(इनपुट-IANS)

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