प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार 6 मार्च को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे. जहां उन्होंने श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में विकसित भारत विकसित जम्मू कश्मीर समारोह के दौरान 6400 करोड़ से ज्यादा की कई विकास परियोजनाओं का अनावरण किया था, जिसमें एकीकृत विकास के लिए परियोजनाएं भी शामिल हैं. पीएम मोदी की इस रैली में भारी भीड़ उमड़ी थी, जिसे देखने के बाद विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि पीएम की रैली के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से भीड़ को इकट्ठा किया गया है.
'लोगों को जबरदस्ती रैली में नहीं ला सकते'
विपक्ष के उन्हीं सवालों को लेकर आजतक ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से खास बातचीत की है. फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के आरोपों पर जवाब देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि आप पहले दो बातें समझिए, पहली बात ये कि वह प्रधानमंत्री कार्यक्रम था जो कि सरकारी कार्यक्रम था. और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में प्रशासन काम करें तो मुझे इसमें कोई दिक्कत नजर नहीं आती. दूसरी, बात यहां तक भीड़ का सवाल है. पहले भी श्रीनगर में लोगों और अन्य प्रधानमंत्रियों की भी रैलियां हुई हैं. मैं आपको पूरी ईमानदारी से बता रहा हूं लोगों में काफी उत्साह था. लोग खुद रैली में आना चाहते थे.नहीं तो जबरदस्ती किसी को नहीं लाया जा सकता है.
बख्शी स्टेडियम में जहां पीएम की सभा हुई थी, वहां 35 हजार लोगों के बैठने की क्षमता है. ये स्टेडियम पूरी तरह से भरा हुआ था. वहीं, पास में एक और इनडोर स्टेडियम है. जिसमें 5 हजार लोग बैठ सकते हैं. वो भी पूरी तरह से भरा हुआ था. इसके अलावा लोग बाहर भी खड़े थे.
क्यों नहीं हो रहे हैं विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए एलजी ने कहा कि ये सवाल जब से मैं यहां आया हूं तभी से ये सवाल पूछा जा रहा है. जबकि इस संबंध में सवाल पूछे जाने की कोई जरूरत नहीं है. गृह मंत्री ने अपने 5 अगस्त, 2019 के भाषण में स्पष्ट कर दिया था कि विधानसभा की सात सीटें बढ़ाई जा रही हैं. सीटों के परिसीमन के लिए तीन बार निर्वाचन आयोग की टीम जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुकी है. इस पूरी प्रक्रिया में काफी वक्त लगता है. साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम ने भी सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने की निर्देश दे दिया है तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन अदालत के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करेगा.
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