जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के सरकार बनाने के मंसूबों पर पानी फिर गया है. राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी है जिसके बाद सरकार बनने की सारी संभावनाएं खत्म हो गई हैं. इससे पहले पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था. मुफ्ती ने 'आजतक' से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा था कि उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन पत्र के साथ राज्यपाल को चिट्ठी लिख दी है. इधर पीडीपी में बगावत होने की भी खबर आई. पीडीपी विधायक इमरान अंसारी ने दावा किया कि उनके साथ 18 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि हम भी राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
Jammu and Kashmir Governor Satya Pal Malik has passed an order dissolving the state Legislative Assembly. pic.twitter.com/TirFfZfTCs
— ANI (@ANI) November 21, 2018
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने धारा 53 के तहत विधानसभा भंग करने का आदेश दिया. इससे पहले पीडीपी ने एनसी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इसके साथ ही पीडीपी में बगावत की खबरें आने लगीं. कुछ विधायकों ने गठबंधन सरकार बनाने का विरोध किया.
महबूबा मुफ्ती ने 'आजतक' से कहा कि सरकार बनाने का उनका दावा वैध था लेकिन विधानसभा भंग कर दी गई. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभी पार्टियों में बात भी नहीं हुई थी और विधायकों की बैठक बुलाई गई थी लेकिन बीजेपी नहीं चाहती जम्मू कश्मीर में कोई सरकार बने. आजाद ने कहा कि बीजेपी का तानाशाही रवैया फिर सामने आया है. अफवाहों से बीजेपी डर गई और विधानसभा भंग कर दी गई. आजाद ने कहा कि हम प्रदेश में चुनाव चाहते हैं.
I said this afternoon also that it's a suggestion & no final decision has been taken yet (on PDP-NC-Congress alliance). BJP dissolved the assembly even though only a proposal was made: Ghulam Nabi Azad, Congress on #JammuAndKashmir Governor dissolves J&K Legislative Assembly. pic.twitter.com/MUveg301gI
— ANI (@ANI) November 21, 2018
महबूबा मुफ्ती ने 'आजतक' से कहा, 'विधानसभा भंग किया जाना काफी दुखद है. राज्यपाल को पहले सभी संभावनाएं तलाशनी चाहिए थी. सिद्धांत के तौर पर उन्हें सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित करना चाहिए था. सज्जाद लोन अगर 18 विधायकों के समर्थन की बात करते हैं, इसका मतलब है कि खरीद-फरोख्त की जा रही है.'
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, विधानसभा भंग करने से पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर की हालत बताई. इस बाबत केंद्र मंत्रालय को रिपोर्ट भी भेजी गई है.
एनसी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में लिखा कि 'इसे संयोग नहीं मान सकते कि इधर महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही थीं और उधर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी.'
विधानसभा भंग किए जाने के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. सैफुद्दीन सोज ने तीखी टिप्पणी की. उन्होंने एएनआई से कहा, 'केंद्र के इशारे पर राज्यपाल ने जो काम किया है, उसके खिलाफ महबूबा मुफ्ती को कोर्ट जाना चाहिए. विधानसभा भंग करना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को चिट्ठी तभी लिखी जब उन्हें एनसी और कांग्रेस ने समर्थन देने की बात कही. ऐसे में राज्यपाल को महबूबा मुफ्ती को एक मौका देना चाहिए.'
क्या कहा गुलाम नबी आजाद ने
जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग करने को लेकर आजाद ने आरोप लगाया कि बीजेपी नहीं चाहती है कि उनके अलावा कोई भी जम्मू कश्मीर में सरकार बनाए. यही वजह है कि अफवाहों से डरकर जम्मू कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया गया. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अचानक से विधानसभा भंग करने की कोई वजह नहीं हो सकती है और जब अफवाहों से डर कर विधानसभा भंग कर दिया है तो जल्द से जल्द चार-पांच महीने के अंदर वहां विधानसभा चुनाव करके सरकार का गठन किया जाए. लंबे समय तक हम नहीं चाहते हैं कि वहां पर राष्ट्रपति शासन चलता रहे.
गुलाम नबी आजाद ने इस बात को स्वीकारा कि 23 नवंबर को वहां कांग्रेस के विधायकों की बैठक होने वाली थी, जिसमें हम सरकार बनाने की संभावनाओं पर विचार करने वाले थे क्योंकि तीन चार महीनों से ऐसी बातें चल रही थीं कि सरकार बनाने की संभावनाओं को टटोला जाए लेकिन मामला यहां फंस रहा था कि इस तरह के हालात में न तो कांग्रेस का कोई नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार था न ही नेशनल कॉन्फ्रेंस का. पीडीपी अपना मुख्यमंत्री वहां चाह रही थी. इसमें वहां सरकार बनना संभव नहीं था. बागी नेता जरूर चाह रहे थे कि सरकार बने. बीजेपी को जैसे ही पता चला कि सरकार बनने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है, उसने आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया.
इस बीच खबर यह भी आई कि चुनाव आयोग इस पर विचार कर रहा है कि विधानसभा भंग होने के बाद प्रदेश में आचार संहिता लागू हो सकती है या नहीं. आयोग में इसपर विचार तेज हो गया है.
Election Commission to examine if the model code of conduct can be imposed in Jammu and Kashmir or not, after Governor dissolves Legislative Assembly.
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इससे पहले महबूबा मुफ्ती ने 'आजतक' से खास बातचीत में कहा कि हमारा मुख्य ध्यान 35 ए और राज्य के विशेष दर्जे को लेकर है. इसका मसला जनवरी में उठा था. जब मैं मुख्यमंत्री थी, तब मैंने इसका विरोध किया था. कश्मीरी अवाम ने इसके लिए बहुत कुर्बानी दी है. उस समय कई ऐसे बदलाव करने की बातें थीं, जो लोगों के हित में नहीं थी. महबूबा ने तीनों दलों के एक साथ आने के बचाव में तर्क दिया कि राज्य के स्पेशल दर्जे को बचाए रखने के लिए ही हम सभी साथ आए हैं.
क्या भाजपा के अन्य दूसरे दलों के साथ सरकार बनाए जाने की खबरों के चलते पीडीपी-कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक साथ आए हैं? इस सवाल पर महबूबा ने कहा कि राज्य में बड़ी पार्टी बनने के बाद बीजेपी उन पार्टियों को तोड़ने की कोशिश कर रही है जिन्होंने रियासत में बड़ी मेहनत और कुर्बानियों के बाद लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित किया था. ऐसी ही ताकत का सामना करने के लिए हमने एक साथ आने का फैसला लिया.
तीनों दलों में से किसने एक साथ आने की पहल की, इस सवाल पर महबूबा ने कहा कि हम तीनों ही एक साथ आए हैं. हमारी तरह दोनों दल भी 35 ए और केंद्र के राज्य के प्रति रवैये को लेकर चिंतित हैं. तीनों दलों में कौन इसका नेतृत्व करेगा, इस सवाल पर महबूबा ने कहा कि फिलहाल तो पीडीपी इसका नेतृत्व कर रही है. लेकिन अभी हम इस पर चर्चा कर रहे हैं.
क्या एनसी भी सरकार का हिस्सा बनेगी या फिर वो सिर्फ बाहर से समर्थन करेगी, इस सवाल पर महबूबा ने कहा कि इस पर अभी फैसला होना बाकी है.राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश करने के सवाल पर महबूबा ने कहा कि हम उन्हें दोनों दलों के समर्थन पत्र के साथ फैक्स कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देखते हैं कि आगे क्या होता है.
क्या हैं विधानसभा के समीकरण
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 89 सीटे हैं, जिनमें से दो सदस्य मनोनीत किए जाते हैं. ऐसी स्थिति में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की जरूरत होती है. मौजूदा स्थिति में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के पास 28, बीजेपी के 25 और नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 सीटे हैं. यानी अगर पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस एक साथ आते हैं तो आंकड़ा 55 तक पहुंच रहा है और आसानी से सरकार का गठन किया जा सकता है.
(इनपुट-शरत कुमार की रिपोर्ट)