कैग ने जम्मू कश्मीर में 25 हजार करोड़ रुपये से अधिक के जमीन घोटाले का पर्दाफाश करने का दावा किया है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में 20 लाख कनाल (एक कनाल में 5440 फीट) की करीब 25 हजार करोड़ की जमीन रौशनी एक्ट के तहत भू-माफिया के कब्जे में है. कैग का कहना है कि सरकार अभी अभी तक 76 करोड़ रुपये ही वसूल कर पाई है.
कैग का आरोप है कि जम्मू कश्मीर सरकार 2001 में बनाए गए रौशनी एक्ट को पूरी तरह से लागू करने में विफल रही है. प्रदेश के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) डॉ. सुभाष चंद्र पांडेय का कहना है कि उन्होंने 2006 में ही राजस्व विभाग को यह लिखकर दिया था कि 20 लाख कनाल से अधिक भूमि भू-माफिया के कब्जे में है, जिसकी कीमत तब करीब 25 हजार करोड़ से अधिक थी.
यही नहीं, राजस्व विभाग ने कैग को यह भी बताया था कि इस भूमि में से 3.48 लाख कनाल को विभाग ने उनके मालिकों को ट्रांसफर का आदेश दिया था जिससे सरकार को 320 करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन सरकार इसमें से सिर्फ 16 करोड़ ही वसूल पाई है.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर सरकार ने 2001 में रौशनी एक्ट को राज्य में बिजली की खस्ता हालत को सुधारने ने लिए बनाया था. इसमें 1990 से अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर बैठे लोगों को जमीन के मालिकाना हक देने की बात कही गई थी. मालिकाना हक लोगों को जमीन के बाजार में चल रहे भाव पर दिए जाने का प्रावधान था.
प्रावधान में बदलाव से मिला प्रोत्साहन
डॉ. सुभाष ने दावा किया है कि साल 2004 में सरकार द्वारा एक्ट में बदलाव के कारण भू-माफिया को प्रोत्साहन मिला है. उन्होंने कहा कि नए प्रावधान में सरकारी जमीन का मालिकाना हक पाने के लिए उस जमीन पर शख्स कब से रहा है की महत्ता को खत्म कर दिया गया, जिससे माफिया को प्रोत्साहन मिला.
सरकार नहीं दे रही जानकारी
प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल ने इस बात पर भी खेद जताया कि सरकार रौशनी एक्ट मामले में उनसे कोई भी सूचना और जानकारी बांट नहीं रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने हमें 6 महीने तक रौशनी एक्ट के तहत आवंटित किए गए जमीन की जानकारी नहीं दी.