जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों और छिपे हुए देशद्रोहियों के खिलाफ सरकार फुल एक्शन में हैं. ताजा एक्शन ऐसे 11 लोगों को पर हुआ है जो सरकारी नौकरी (Jammu kashmir government employee) भी करते हैं और उसकी आड़ में आतंकियों की मदद भी करते थे. ऐसे 11 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. टेरर फंडिंग के आरोप में जिन लोगों पर कार्रवाई हुई है. उनमें आतंकी सलाउद्दीन (Syed salahuddin) के दोनों बेटे भी शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के बुरे दिन तो पहले ही आ गए थे. अब आतंक के अंडरकवर एजेंटों की धर-पकड़ की जोरदार मुहिम चल रही है. एक-एक कर सिस्टम और सरकारी तंत्र में छिपे हुए देश के दुश्मनों को तलाशा जा रहा है. जो पगार तो सरकार की लेते थे लेकिन काम आतंकियों के लिए करते थे.
खुफिया ब्यूरो के अलर्ट और पुख्ता जांच के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने सिस्टम के अंदर 11 ऐसे कर्मचारी और अफसरों को पहचान लिया और उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया. इनपर आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ है सो अलग.
बर्खास्त किए गए 11 कर्मचारियों में से 4 अनंतनाग, 3 बडगाम, 1-1 बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा से हैं. इनमें से 4 शिक्षा विभाग में, 2 जम्मू-कश्मीर पुलिस में और 01-01 कृषि, कौशल विकास, बिजली, शेरे कश्मीर अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग में तैनात थे.
सरकारी तंत्र का हिस्सा थे, शक करना मुश्किल
जरा सोचिए ये छिपे हुए दुश्मन कितने घातक होंगे और कितना नुकसान पहुंचाया होगा. सरकारी तंत्र का हिस्सा होने की वजह से इनपर शक करना मुश्किल था. आजतक को मिली EXCLUSIVE जानकारी के मुताबिक ये कई सालों से खुफिया जानकारियां आतंकियों को दे रहे थे.
सैयद सलाउद्दीन के बेटे भी बर्खास्त
बड़ी खबर ये भी है कि आतंकी कनेक्शन और टेरर फंडिंग के मामले में आतंकी सरगना सैयद सलाउद्दीन के दोनों बेटों सैयद शकील अहमद और शादिर युसुफ को भी बर्खास्त कर दिया गया है. शकील अहमद श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में काम करता था वहीं शाहिद युसूफ श्रीनगर में कृषि विभाग में काम करता था. सलाउद्दीन के दो बेटों को टेरर कनेक्शन में बर्खास्त किया गया है.
सरकारी सिस्टम में आतंक के अंडरकवर एजेंटों की गद्दारी की साजिश का मॉड्यूल दंग कर देने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, कुपवाड़ा में तैनात एक कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा को सुरक्षाबलों के मूवमेंट की जानकारी देता था.
अनंतनाग जिले के दो शिक्षक जमात-ए-इस्लामी और दुख्तरिन-ए-मिल्लत की अलगाववादी विचारधारा का प्रचार करते थे, यानि युवाओं को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाते थे.
स्वास्थ्य विभाग में तैनात नाज़ मोहम्मद अल्लाई पर दो खूंखार आतंकियों को पनाह देने का आरोप है. इसी लिस्ट में शामिल जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबलों ने आतंक के आकाओं को टॉप सेक्रेट जानकारी तक दे डाली. एक कांस्टेबल अब्दुल राशिद शिगन ने तो खुद सुरक्षा बलों पर ही हमले किए हैं.
सुरक्षा बलों का रूट आतंकियों को बताते थे
खतरे का अंदाजा इसी से लगाइए कि जब सुरक्षा बल टॉप सिक्रेट मिशन पर मुवमेंट कर रहे होते थे तब ये पुलिस वाला आतंकियों को इस्तेमाल में आने वाले संभावित रूट की जानकारी देता था. किस इलाके में तलाशी अभियान चलेगी इसकी जानकारी होती थी. और ये सभी समझते हैं कि किसी भी ऑपरेशन में इन इनपुट से खेल बिगड़ भी सकता है, नुकसान भी हो सकता है.
सरकार ने किया था टास्क फोर्स का गठन
जम्मू-कश्मीर में संदिग्ध गतिविधि में शामिल कर्मचारियों की धरपकड़ के लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया था. जिसकी जांच के आधार पर कई कर्मचारी सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर हैं. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आतंक के समर्थन कुछ और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है. ताकि आतंकियों को मिलने वाली मदद के नेटवर्क को भी जल्द ध्वस्त किया जा सके.
(रिपोर्ट - आजतक ब्यूरो)