जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को पुलिस हिरासत में रखा गया है. इन दोनों को पुलिस हिरासत में 23 दिन हो चुके हैं. अब जाकर इसकी जानकारी मिली है कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को पुलिस हिरासत में कहां रखा गया है?
जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को उनके घर के पास ही हरी निवास गेस्ट हाउस में रखा गया है, वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को उनके घर से दूर चश्मे शाही इलाके में सरकारी गेस्ट हाउस में रखा गया है.
पुलिस हिरासत में उमर अब्दुल्ला अधिकतर समय कसरत करने और खेलने-कूदने में अपना समय बिताते हैं, जबकि महबूबा मुफ्ती ज्यादातर समय अखबार और किताबें पढ़ती हैं. दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को सेटेलाइट टेलीविजन भी मुहैया कराए गए हैं.
वहीं, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने सशर्त रिहाई के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, जिसके बाद प्रशासन ने दोनों की नजरबंदी को बढ़ा दिया है. सूत्रों ने बताया, प्रशासन ने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से कहा था कि अगर आप अनुच्छेद 370 के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करेंगे तो आपको रिहा कर दिया जाएगा. हालांकि दोनों नेताओं ने प्रशासन के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.
दोनों को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एक दिन बाद यानी 6 अगस्त को हिरासत में लिया गया था. दोनों नेताओं को पहले हरी निवास गेस्ट हाउस में रखा गया था, लेकिन बाद में अलग-अलग गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर दिया गया था. दरअसल, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के बीच बहसबाजी देखने को मिली थी, जिसके बाद दोनों को अलग-अलग गेस्ट हाउस में रखने का फैसला लिया गया था.
बताया जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला लगातार कश्मीर घाटी के हालात पर नजर बनाए हुए हैं और सुरक्षा बलों से जानकारी ले रहे हैं. दोनों नेता जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के कदम का शुरू से ही विरोध कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाए जाने को लेकर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया तो महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है. साल 1947 में भारत के साथ जाने का जम्मू-कश्मीर का फैसला गलत साबित हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला अवैध और असंवैधानिक है.