कश्मीर से धारा 370 हटाने के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विरोध को लेकर पार्टी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रुख साफ किया है. ममता का कहना है कि उनका विरोध ‘प्रक्रियागत’ है और ये इस कदम के गुणदोष से नहीं जुड़ा है.
मंगलवार को चेन्नई के लिए रवाना होने से पहले ममता ने कहा, “मैं प्रक्रियागत तरीके से सहमत नहीं हूं. मैं संबंधित बिल के गुण-दोष की बात नहीं कर रही हूं. लेकिन जिस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई, उस पर मेरी पार्टी ने जो स्टैंड लिया है वो मजबूत है. हम इस बिल का समर्थन नहीं कर सकते और ना ही इसके लिए वोट दे सकते हैं. ऐसा करने से रिकॉर्ड होगा कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर हमने बिल को स्वीकार कर लिया. मैं गुण-दोष (मेरिट) की नहीं प्रक्रिया की बात कर रही हूं. हम प्रक्रियागत खामियों के पूरी तरह खिलाफ हैं.”
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राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर राजनीतिक दलों में सर्वसम्मति की जरूरत जताते हुए ममता ने कहा, “ये संदेश पूरे देश में जाना चाहिए कि हम अपनी मातृभूमि और उससे जुड़ी चीजों को प्यार करते हैं. हम साथ खड़े हैं. हम शांतिपूर्ण बातचीत और समाधान चाहते हैं. ऐसे में कोई राजनीतिक शोरगुल या प्रदूषण नहीं होना चाहिए.”
टीएमसी प्रमुख ने आगे कहा, “सांविधानिक और विधिक तौर पर ये ना तो प्रशंसा योग्य है और ना ही लोकतांत्रिक. उन्हें सभी राजनीतिक दलों के साथ इस पर विमर्श करना चाहिए था. कश्मीर के स्थानीय लोगों से भी बात करनी चाहिए थी. उन्हें कश्मीर में बैठक बुलानी चाहिए थी, हम वहां जाने को तैयार थे.”
ममता ने कश्मीर के लोगों को विश्वास में लेने की जरूरत बताई. ममता ने कहा, “देश के नागरिक होने की वजह से हम सभी देशभक्त लोग हैं और अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं. मैं मजबूती से मानती हूं कि कश्मीरी लोग हमारे भाई और बहन हैं. मैं सरकार से आग्रह और अपील करती हूं कि उन्हें अपने को अलग-थलग महसूस नहीं होने दिया जाए. उन्हें लगना चाहिए कि वो देश के साथ हैं और भारतीय हैं. हमें लोगों में विश्वास कायम करना चाहिए कि कोई भी भयभीत महसूस ना करे.”
ममता ने जम्मू और कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की तत्काल रिहाई की मांग की. ममता ने कहा, ‘हम सब साथ हैं. मैं समझती हूं कि महबूबा, उमर और अन्य राजनीतिक हस्तियां आतंकवादी नहीं हैं, उन्हें लोकतांत्रिक संस्थान और लोगों के हित में रिहा किया जाना चाहिए.’