जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को पंगु किए जाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटने के खिलाफ फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. इस बार पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के अध्यक्ष शाह फैसल, शेहला रशीद समेत सात लोगों ने याचिका दाखिल की.
पूर्व आईएएस और अब नेता शाह फैसल की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कश्मीर मसले से जुड़ी बाकी याचिकाओं के साथ सुनवाई करेगा.
इस महीने की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद शाह फैसल ने कहा था कि कश्मीर में अप्रत्याशित बंद चल रहा है और यहां की 80 लाख की आबादी को कैद कर लिया गया है, इससे पहले कश्मीर में ऐसा कभी नहीं हुआ.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व आईएएस अधिकारी फैसल ने अपने पद से इस्तीफा दे कर एक नई राजनीतिक पार्टी जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट गठित की है जिसके भी अध्यक्ष भी हैं. शाह फैसल उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने आईएएस की परीक्षा में टॉप किया.
तत्काल सुनवाई से इनकार
शाह फैसल जम्मू-कश्मीर से आईएएस की परीक्षा टॉप करने वाले वह पहले व्यक्ति थे, उस दौरान उनकी मुलाकात उस वक्त के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से भी हुई थी. इसी साल जनवरी में शाह फैसल ने जब अपने आईएएस से इस्तीफा दिया तो कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने इसको लेकर मोदी सरकार पर सीधा निशाना साधा था.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. जस्टिस एनवी रमन्ना ने अपने फैसले में कहा कि हम इस मामले की तत्काल सुनवाई नहीं कर करेंगे.
इस दौरान याचिकाकर्ता एमएल शर्मा के वकील बिमल जैद ने याचिका की प्रति नहीं देने पर आपत्ति दर्ज कराई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कैविएटर के लिए वकील को एक कॉपी दें. नियत समय आने पर मामला सुना जाएगा.
इससे पहले, 17 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के खिलाफ कुछ पूर्व सैन्य अफसर और नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रपति के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी थी.
केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों में साल 2010-11 में जम्मू-कश्मीर की समस्या पर वार्ताकार रहीं राधा कुमार, पूर्व आईएएस अधिकारी हैदर तैयब, पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, पूर्व मेजर जनरल अशोक कुमार मेहता, पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी अमिताभ पांडे और केरल कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल पिल्लई प्रमुख हैं. इन याचिकाकर्ताओं के वकील अर्जुन कृष्णन और कौस्तुभ सिंह हैं. इन नौकरशाहों का कहना है कि इस अनुच्छेद की वजह से ही कश्मीर भारत से जुड़ा और अब इसे हटाना वहां के लोगों की भावना से खेलने जैसा है.