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उमर अब्दुल्ला ने पूछा-विधायकों को कौन खरीद रहा था, बताएं राज्यपाल

जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने एक सुर में राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए पूछा है कि किस नीति के तहत अचानक विधानसभा भंग कर दी गई.

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फाइल फोटो (इंडिया टुडे आर्काइव)
फाइल फोटो (इंडिया टुडे आर्काइव)

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर राज्यपाल के पास सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की रिपोर्ट है तो उसे सार्वजनिक किया जाए. जनता को यह जानने का अधिकार है कि विधायकों को कौन खरीद रहा था. उमर के पिता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यपाल मलिक केंद्र के गुलाम हैं.

राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए दावा किया था कि 'बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त' चल रही थी और 'विरोधी राजनीतिक विचारधारा' वाले दलों के लिए राज्य में स्थिर सरकार बनाना असंभव होता. राज्य के हित और संविधान के अनुरूप उन्होंने विधानसभा भंग करने का फैसला लिया.

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मलिक ने राजभवन में पत्रकारों से कहा था, 'पिछले 15 से 20 दिन में, मुझे बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त की खबरें मिलती रही हैं. विधायकों को धमकाया जा रहा है और पर्दे के पीछे से कई तरह के सौदे चल रहे हैं.' बता दें कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था. पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था. पीडीपी के दावे के बाद दो सदस्यीय पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था.

विधानसभा भंग होने के एक दिन बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने प्रदेश में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त और धन के उपयोग संबंधी दावों की जांच कराने की मांग की. उन्होंने कहा, 'जब राज्यपाल ने खुद स्वीकार किया है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है, पैसे का लेन-देन हो रहा है, तो लोग यह जानना चाहेंगे कि यह सब कौन कर रहा है. अगर राज्यपाल के पास ऐसी रिपोर्ट हैं तो उन्हें इसे सार्वजनिक करना चाहिए.

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उन्होंने कहा, 'ये आरोप हमारे नहीं हैं. वो तो राज्यपाल हैं, जिन्होंने कहा है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है और पैसे दिए जा रहे हैं. हम जानना चाहते हैं कि किसकी तरफ से ये पैसे दिए गए? हम जानना चाहते हैं कि किसके कहने पर ये पैसे दिए जा रहे हैं और किसे खरीदा जा रहा है?' उमर ने कहा कि राज्यपाल ने पीडीपी के दावे को स्वीकार नहीं करने के कारण दिए हैं. उनका कहना है कि अलग-अलग विचारधारा की पार्टियां एक साथ आकर स्थिर सरकार कैसे दे सकती हैं. इसपर मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपने 2015 में यह सवाल किया था जब भाजपा और पीडीपी ने गठबंधन किया था. उस समय मैंने उसे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव को साथ आना बताया था किंतु आपने तब तो कुछ भी नहीं किया.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धन के इस्तेमाल और विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप एनसी--पीडीपी-कांग्रेस के महागठबंधन पर नहीं लगाए जा सकते. मलिक का संकेत दूसरी चिट्ठी की ओर है जिसमें पीपल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया.

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