जम्मू-कश्मीर में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल पर केंद्र सरकार की ओर से बयान सामने आया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग करने का फैसला पीडीपी-NC-कांग्रेस के सरकार बनाने की गतिविधि के दबाव में नहीं लिया गया है.
सूत्रों की मानें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को अपने चुनावी दौरे से लौट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. इस बैठक में राज्य के हालात पर चर्चा हुई. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार का मानना है कि राज्य में अब चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ ही हो सकते हैं.
केंद्रीय सूत्रों का ये भी मानना है कि विधानसभा पहले भी भंग हो सकती थी, लेकिन सुरक्षा कारणों और निकाय चुनाव के कारण नहीं हो पाई. वहीं अब पूरा फोकस निकाय चुनाव के बाकी बचे चरणों पर ही होगा.
गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो राज्यपाल द्वारा जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने का निर्णय एक दिन पहले ही यानी मंगलवार को ले लिया गया था. मंगलवार को इसकी सारी प्रक्रिया पूरी हुई और बुधवार को इसका ऐलान कर दिया गया.
ये भी कहा जा रहा है कि सरकार बनाने के लिए कई पार्टियों की तरफ से खरीद-फरोख्त की कोशिशें की जा रही थीं, यही कारण रहा कि राज्यपाल को ये फैसला लेना पड़ा.
राज्यपाल पहले ही दे चुके हैं सफाई
आपको बता दें कि इससे पहले राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी अपने बयान में इस फैसले के कारणों को गिनाया था. राजभवन की ओर से जारी बयान में राज्यपाल ने कहा था कि उन्हें आशंका थी कि सरकार बनाने के लिए खरीद-फरोख्त हो सकती है, इसलिए उन्हें ये फैसला लेना पड़ा. उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें महबूबा मुफ्ती या सज्जाद लोन की ओर से कोई खत नहीं मिला.
राजभवन ने बाद में एक बयान में कहा, ‘‘राज्यपाल ने यह निर्णय अनेक सूत्रों के हवाले से प्राप्त सामग्री के आधार पर लिया.’’ उन्होंने ये भी कहा कि जरूरी नहीं कि राज्य के चुनाव अभी हों, ये चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ भी कराए जा सकते हैं.